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PM Modi से मिले Dawoodi Bohra समुदाय के प्रतिनिधि, Waqf Amendment Act के लिए जताया आभार

लंबे समय से लंबित मांग पूरी होने पर बोहरा समुदाय ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद
‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ में जताया भरोसा
कई मुस्लिम संगठनों के विरोध के बीच बोहरा समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण

नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| गुरुवार को दाऊदी बोहरा (Dawoodi Bohra) समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से मुलाकात की और वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) के लिए उनका आभार व्यक्त किया. समुदाय के सदस्यों ने हाल ही में पारित इस कानून को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि यह उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग थी, जो अब पूरी हो गई है.

समुदाय के नेताओं ने पीएम मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ (Sabka Saath, Sabka Vikas, Sabka Vishwas) के विजन पर भरोसा जताया और उम्मीद व्यक्त की कि वक्फ कानून में शुरू किए गए सुधार पुराने कानून की कमियों को दूर करने और समग्र रूप से मुस्लिम समुदाय की स्थिति को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

दाऊदी बोहरा समुदाय का इस नए वक्फ कानून के प्रति समर्थन इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई मुस्लिम संगठन, मौलवी और उलेमा इसे अपने धार्मिक अधिकारों पर अतिक्रमण बता रहे हैं और इसकी वैधता को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुके हैं.

इस मुलाकात में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री (Union Minister for Minority Affairs) किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) भी मौजूद थे. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीरें साझा कीं. उन्होंने एक्स पर लिखा, “दाऊदी बोहरा समुदाय ने पीएम मोदी से मुलाकात कर वक्फ संशोधन अधिनियम के लिए अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की, जो उनकी लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है.”

रिजिजू ने आगे कहा, “पीएम मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के विजन में उनका विश्वास अत्यंत प्रेरणादायक है.”

दाऊदी बोहरा समुदाय शिया इस्माइली इस्लाम की एक शाखा है और इसका भारत सहित दुनिया के 40 अन्य देशों में महत्वपूर्ण प्रभाव है. उल्लेखनीय है कि पिछले साल समुदाय ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) को पत्र लिखकर वक्फ बोर्ड के दायरे से छूट की मांग की थी, जिसमें उन्होंने तर्क दिया था कि प्रस्तावित कानून उनकी व्यापक मुस्लिम समुदाय के बीच विशेष स्थिति को मान्यता नहीं देता.