SC ने लगाई महाराष्ट्र सरकार को फटकार, कहा सब कुछ पेशेवर तरीके से किया जाए
नई दिल्ली / पटना / मुंबई (TBN – The Bihar Now डेस्क) | केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि उसने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की सिफारिश करने के बिहार सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है.
केंद्र ने सीबीआई जांच की सिफारिश को किया स्वीकार
केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस हृषिकेश रॉय की सिंगल-जज बेंच के सामने कहा कि केंद्र ने बिहार सरकार से सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है.
रिया चक्रवर्ती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई
देश की सर्वोच्च अदालत रिया चक्रवर्ती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से संबंधित एफआईआर सहित पूरे मामले को बिहार के पटना से मुंबई ट्रांसफर करने के लिए प्रार्थना की गई थी. इस ट्रांसफर याचिका में कहा गया है कि पटना में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ दायर एफआईआर बिहार सरकार और दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत के पिता के बीच “मिलीभगत” के अलावा कुछ नहीं है.
रिया चक्रवर्ती की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि राजपूत की 14 जून को मौत हो गई थी और मुंबई पुलिस ने मामले में अपनी जांच शुरू कर दी थी. उन्होंने न्यायमूर्ति रॉय के सामने कहा कि इस केस में 56 गवाह हैं और घटना से संबंधित सब कुछ मुंबई में हुआ है.
इसके बाद न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि यहां याचिका में मूलभूत मुद्दा केस के क्षेत्राधिकार के बारे में है. जस्टिस रॉय ने कहा कि “इस तरह के मामले में, परिस्थितियां बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं. आपराधिकता या कोई भी स्थिति हो, मामले की सही तरीके से जांच की जानी चाहिए. इस मामले में हर किसी की राय है”. इस पर चक्रवर्ती की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने मामले में सुरक्षा की मांग की. इस पर फिर जस्टिस रॉय ने कहा कि वास्तव में, यह हर किसी के हित के लिए अच्छा है कि सच्चाई सामने आनी चाहिए.
जस्टिस रॉय ने कहा कि राजपूत एक प्रतिभाशाली कलाकार थे जिनका निधन असामान्य परिस्थितियों में हुआ था. अब यदि इसमें आपराधिकता शामिल है तो इसकी जांच होनी चाहिए … अब सभी की राय हाई प्रोफाइल मामलों के बारे में है, लेकिन हम कानून के अनुसार आगे बढ़ेंगे.
लगाई महाराष्ट्र सरकार को फटकार
पटना के सिटी एसपी विनय तिवारी के क्वॉरन्टीन के मामले पर जस्टिस रॉय ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा – “यह एक अच्छा संदेश नहीं देती है. कन्फाइन्मन्ट …. क्या यह एक अच्छा संदेश देता है? खासतौर पर तब जब मामले ने मीडिया का ध्यान खींचा हो? महाराष्ट्र राज्य को यह सुनिश्चित करना है कि सब कुछ पेशेवर तरीके से किया जाए”
इसके बाद महाराष्ट्र सरकार के वकील आर बसंत ने महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इस केस में एफआईआर दर्ज करना और जांच बिहार पुलिस के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है. बल्कि इसे राजनीतिक केस बना दिया गया है.
दिवंगत अभिनेता के परिवार की ओर से उपस्थित वकील एडवोकेट विकास सिंह ने महाराष्ट्र पुलिस को बिहार पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए आदेश पारित करने के लिए शीर्ष अदालत के प्रार्थना की. सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस बिहार पुलिस के साथ सहयोग नहीं कर रही है तथा महाराष्ट्र पुलिस सबूतों को नष्ट कर रही है. इस पर महाराष्ट्र सरकार के वकील आर बसंत ने दलील दी कि इस मामले में कोई निर्देश आवश्यक नहीं है.
केस की अगली सुनवाई अगले हफ्ते
इसके बाद जस्टिस ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया – “केस पर विचार करने के बाद, सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन दिए जाते हैं. महाराष्ट्र राज्य को मुंबई पुलिस द्वारा जांच की स्थिति पर अपडेट करना चाहिए. इस मैटर को अगले सप्ताह सूचीबद्ध किया जाए”.
विदित है, दिवंगत अभिनेता के पिता केके सिंह द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत आत्महत्या के लिए प्रेरित करने समेत कई धाराओं के तहत पटना पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. मामले की जांच के लिए बिहार पुलिस की एक टीम मुंबई में है. राजपूत 14 जून को अपने मुंबई आवास पर मृत पाए गए थे.
मुंबई पुलिस के अनुसार, इस मामले के सिलसिले में अब तक 56 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें राजपूत का परिवार, उनकी घरेलू मदद और कई उद्योग के लोग शामिल हैं.