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CAA कानून: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, 9 अप्रैल तक मांगा जवाब

नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को 11 मार्च, 2024 को अधिसूचित नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act) और नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करने वाले 20 से अधिक आवेदनों पर केंद्र सरकार (Union government) को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है और वह इस पर 9 अप्रैल, 2024 को सुनवाई करेगा.

सीएए 2019 पर रोक लगाने की मांग करने वाली 200 याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इस्लामी राज्यों से सताए गए समुदायों को नागरिकता देने की प्रक्रिया पर रोक लगाने का बार-बार अनुरोध किया, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने स्थगन आवेदन पर फैसला नहीं कर लिया.

अंतिम उपाय के रूप में, इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि कम से कम अदालत को इस बीच दी गई सभी नागरिकता पर रोक लगा देनी चाहिए जो अदालत के फैसले के अधीन होगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विनम्रतापूर्वक यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि नागरिकता देने के लिए बुनियादी ढांचा अभी तक तैयार नहीं हुआ है.

याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice of India DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा (Justice Manoj Misra) शामिल थे.

याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) द्वारा दायर की गई थी, जिसने अधिनियम के तहत मुसलमानों के लिए सुरक्षा की मांग की थी. IUML ने अदालत से मुसलमानों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति देने का आग्रह किया और उनकी पात्रता पर एक रिपोर्ट का अनुरोध किया.

2019 से सीएए के एक प्रमुख चुनौतीकर्ता का तर्क है कि यह पूरी तरह से धार्मिक पहचान के आधार पर एक पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू करता है, जिसे वे मनमाना मानते हैं.

डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (Democratic Youth Federation of India) की एक अन्य याचिका में नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 पर रोक लगाने की भी मांग की गई है.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी सीएए के खिलाफ याचिका दायर की है. उनकी याचिका में चल रही कानूनी कार्यवाही समाप्त होने तक नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6बी के तहत नागरिकता आवेदनों के प्रसंस्करण को रोकने का निर्देश देने की मांग की गई है. ओवैसी का हस्तक्षेप विवादास्पद कानून की कानूनी जांच में लगी विविध आवाजों में एक और आयाम जोड़ता है.

इन याचिकाओं में अदालत से केंद्र को सीएए की संवैधानिक वैधता पर फैसला आने तक नियमों के कार्यान्वयन को निलंबित करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है.

केंद्र द्वारा अधिनियमित और 2019 में संसद द्वारा अनुमोदित, सीएए नियम बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहते हैं, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे.