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दिल्ली में BJP की ऐतिहासिक जीत – एक नई शुरुआत

नई दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| करीब 27 साल बाद दिल्ली (Delhi Elections 2025) में भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) को एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक जीत मिली है. यह जीत पार्टी के लिए न केवल एक चुनावी सफलता है, बल्कि यह राजनीतिक दृष्टि से एक बड़ा मोड़ भी साबित हो सकता है. 1993 से लेकर 1998 तक दिल्ली में सत्ता में रहने वाली भाजपा ने लगभग तीन दशकों से चली आ रही हार के सिलसिले को तोड़ा है.

इस शानदार जीत का श्रेय भाजपा पार्टी (BJP) अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)के नेतृत्व और पार्टी की योजनाओं को दे रही है. पार्टी का मानना है कि यह जीत उसे राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत मनोवैज्ञानिक बढ़त दिला सकती है.

इस जीत ने भाजपा (BJP) को दिल्ली में सत्ता हासिल करने के बाद, महाराष्ट्र और हरियाणा में हाल ही में मिली सफलताओं के बाद और भी आत्मविश्वास दिया है. इसके परिणामस्वरूप, भाजपा का राजनीतिक आधार अब और भी मजबूत हो गया है. इस नई विजय ने भाजपा के नेताओं को 2029 के आम चुनावों के लिए नई उम्मीद और रणनीति के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है.

केजरीवाल के लुभावनी घोषणाओं को झटका

वहीं दूसरी ओर, दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi CM) बनने का सपना देख रहे अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को इस चुनाव में करारा झटका लगा है. आम आदमी पार्टी (Aam Adami Party) की मुख्य चुनावी घोषणाओं में मुफ्त बिजली और महिलाओं को 2,100 रुपये का भत्ता देने की बात की गई थी, लेकिन दिल्ली की जनता ने भाजपा को ही अपना समर्थन दिया. पहले आप (AAP) ने जनता को अपनी ईमानदारी और जनहितैषी योजनाओं के जरिए आकर्षित किया था, लेकिन अब भ्रष्टाचार के आरोपों और अन्य विवादों के कारण उसकी छवि को नुकसान हुआ है.

विशेष रूप से, दिल्ली में हुए कथित शराब घोटाले में केजरीवाल और उनके दो मंत्रियों के जेल में होने से विपक्ष ने उन पर जमकर हमला किया. इसके अलावा, दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास ‘शीशमहल’ का मुद्दा भी उनके खिलाफ गया, जिससे उनकी छवि और भी खराब हुई. इस हार के बाद केजरीवाल का राजनीतिक भविष्य अब खतरे में नजर आ रहा है और उनके नेतृत्व में पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ सकता है.

कांग्रेस उड़ी हवा में

दिल्ली में कांग्रेस (Congress) को एक भी सीट नहीं मिली. इंडिया गठबंधन (INDI Alliance) का हिस्सा होने के बावजूद कांग्रेस और आप के बीच कोई समझौता नहीं हुआ, जिसके कारण विरोधी वोटों का विभाजन हुआ और इसका सीधा लाभ भाजपा को मिला. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की विरासत को भुनाने की कोशिश की, लेकिन मतदाताओं ने इसे नकार दिया.

राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की लगातार हार से पार्टी की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. इस हार के बाद कांग्रेस की वापसी की संभावनाएं और भी कमजोर हो गई हैं और राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं.

बीजेपी के जीत के मायने

दिल्ली में भाजपा की यह जीत सिर्फ एक चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है. इस जीत के बाद मोदी सरकार की स्थिति और मजबूत हो सकती है और आगामी लोकसभा चुनाव 2029 की रणनीति पर भी इसका असर पड़ सकता है. वहीं, आप और कांग्रेस के लिए यह नतीजे एक बड़ा झटका हैं और उन्हें अपनी रणनीतियों पर पुनः विचार करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है.