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आसाराम बापू और उनके ‘अपवित्र’ अपराध: ‘भगवान’ सलाखों के पीछे क्यों ?

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| भारत के सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले स्वयंभू ‘भगवान’ में से एक, आसाराम बापू (Asaram Bapu) हमेशा विवादों के पसंदीदा बच्चे रहे हैं. उनपर बलात्कार के तीन मामलों में मुकदमा चल रहा था और वे 2013 से जेल में हैं. आसाराम की चाय बेचने वाले से एक बच्चे के रूप से लेकर 2 करोड़ से अधिक अनुयायियों वाले बाबा बनने तक की यात्रा असाधारण से कम नहीं है.

बता दें, गांधीनगर की एक सत्र अदालत ने मंगलवार को अपने आश्रम में डबल रेप मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

उनके अनुयायियों ने अपने बापूजी को बचाने के लिए “बिना उनकी जानकारी के” न्यायाधीशों और पीड़ितों के परिवारों को कथित तौर पर धमकाने से लेकर प्रमुख गवाहों की हत्या तक की हर चाल चली. लेकिन मुकदमे में चले ट्रायल के बाद अंततः उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिल गई.

आइए यहां आसाराम के जीवन और पिछले पांच वर्षों में मामलों में प्रमुख घटनाक्रमों पर एक नजर डालते हैं।

‘पवित्रता’ के साथ आसाराम का कार्यकाल

आसाराम, जिनका नाम बचपन में आसुमल सिरुमलानी था, का जन्म 1941 में सिंध में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. उनकी जीवनी ‘संत आसाराम बापूजी की जीवन झाँकी’ (Sant Asaram Bapuji Ki Jeevan Jhanki) के अनुसार, उन्होंने 15 से 23 वर्ष की आयु के बीच कई बार घर छोड़ा और आध्यात्मिकता की खोज में अलग-अलग आश्रमों में समय बिताया.

गुरु लीलाशाहजी महाराज (Guru Leelashahji Maharaj) ने 1964 में उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया और उनका नाम संत श्री आसारामजी महाराज रखा. तब तक उनकी शादी लक्ष्मी देवी (Laxmi Devi) से हो चुकी थी, जिनसे उनकी एक बेटी, भारती देवी और एक बेटा, नारायण साईं (Narayan Sai) हैं.

1972 में, उन्होंने साबरमती के किनारे गुजरात के मोटेरा गाँव (Gujarat’s Motera, Sabarmati) में एक झोपड़ी बनाई. एक साल बाद, उन्होंने इसे केवल पांच से 10 अनुयायियों के साथ एक आश्रम में बदल दिया. और आज, संत आसाराम बापू ट्रस्ट करीब 400 आश्रम चलाता है, इनमें से कुछ विदेशों में हैं, और केरल, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर को छोड़कर प्रत्येक भारतीय राज्य में कम से कम एक है. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इनमें से कई राज्यों में, उनके ट्रस्ट पर अतिक्रमित भूमि पर आश्रम स्थापित करने का आरोप लगाया गया है.

उनके आश्रमों में बच्चों को पढ़ाने के लिए 40 से अधिक गुरुकुल या आवासीय विद्यालय हैं. उनका ट्रस्ट कई भाषाओं में 100 से अधिक प्रकाशनों के लिए एक बड़ा प्रिंटिंग प्रेस और एक आयुर्वेद इकाई चलाता है.

राजनीतिक दबदबा और पतन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, उमा भारती, भाजपा के मुख्यमंत्रियों शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और प्रेम कुमार धूमल के साथ-साथ कांग्रेस नेताओं दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और मोतीलाल वोरा ने कभी न कभी आसाराम का आशीर्वाद लिया था.

इसलिए आश्चर्य नहीं कि 1981 और 1992 में गुजरात में कांग्रेस की सरकारों और 1997 और 1999 में भाजपा की सरकारों ने विस्तार के लिए उनके ट्रस्ट को भूमि आवंटित किया.

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हालांकि, गुजरात में बीजेपी के साथ आसाराम के समीकरण उनके ट्रस्ट द्वारा कथित भूमि अतिक्रमण को लेकर बिगड़ने लगे. उदाहरण के लिए, 2010 में, सरकार ने कथित तौर पर अहमदाबाद में आश्रम से 67,059 वर्ग मीटर भूमि वापस ले ली.

2006 में, बिहार राज्य धार्मिक ट्रस्ट ने आरोप लगाया कि आसाराम ने मंदिर के लिए पटना में जमीन हड़प ली थी. बिहार राज्य धार्मिक ट्रस्ट (Bihar State Religious Trust) ने इसपर अदालत का रुख किया और 2009 के आदेश के बाद जमीन खाली करवा ली. इसी तरह के भूमि अतिक्रमण के आरोप मध्य प्रदेश में भी सामने आए.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2016 में आयकर विभाग ने जेल में बंद आसाराम द्वारा नियंत्रित धर्मार्थ ट्रस्टों को 2008-09 से लगभग 2,300 करोड़ रुपये की अघोषित आय रखने के लिए दी गई कर छूट को रद्द करने की सिफारिश की थी.

बलात्कार के मामले

आसाराम पर कम से कम दो महिलाओं के साथ कथित तौर पर मारपीट करने का आरोप है. 16 वर्षीय लड़की के कथित बलात्कार मामले में, आसाराम ने अपने जोधपुर आश्रम में एक अनुष्ठान करते समय कथित रूप से उसके साथ छेड़छाड़ की, जिसे “उसकी बुराई का इलाज” करना था.

उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर के आश्रम की एक छात्रा ने बापू पर ओरल सेक्स करने के लिए कहने और उसे अनुचित तरीके से छूने का आरोप लगाया. आसाराम के दोनों शिष्यों, लड़की के माता-पिता ने शिकायत दर्ज की, जिसके बाद ‘स्वयंभू’ को गिरफ्तार कर लिया गया और जोधपुर ले जाया गया. दोषी पाए जाने के बाद जोधपुर की एक अदालत ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

गुजरात डबल रेप केस

उसके बाद अक्टूबर 2013 में, जोधपुर मामले में आसाराम को गिरफ्तार किए जाने के दो महीने से भी कम समय में, सूरत की दो बहनों ने उन पर और उनके बेटे नारायण साईं पर बलात्कार का आरोप लगाया. बड़ी बहन ने अपनी शिकायत में आसाराम पर 2001 और 2006 के बीच बार-बार यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जब वह अहमदाबाद के पास उनके आश्रम में रह रही थी. वहीं, छोटी बहन ने आरोप लगाया कि नारायण साईं ने उसके सूरत आश्रम में उसके साथ बलात्कार किया. नारायण साईं को भी पुलिस ने दिसंबर 2013 में गिरफ्तार कर लिया था.

गवाह को धमकी दी, हमला किया, मार डाला

सितंबर 2013 में, मामले की सुनवाई कर रहे सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास को आसाराम को जमानत न देने पर कथित रूप से ‘परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दी गई थी. सुनवाई के दौरान सुरक्षा प्रभारी एसएचओ को कथित तौर पर जान से मारने की धमकी भी मिली.

लेकिन सब यहीं खत्म नहीं हुआ. पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, धमकियों, हमलों और आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले गवाहों की हत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया. उनके अनुयायियों के लिए बाहुबल का उपयोग नया नहीं था, और 2014 और 2015 के बीच गवाहों से छेड़छाड़ के कई मामले सामने आए थे.

फरवरी 2014 | गुजरात पीड़िता का पति

नारायण साईं पर आरोप लगाने वाली छोटी बहन के पति पर सूरत में अज्ञात लोगों ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि हमलावरों ने उनकी पीठ और फिर उनके चेहरे पर कई वार किए.

मार्च 2014 | दिनेश भावचंदानी, गुजरात केस के गवाह

कोर्ट में आसाराम के खिलाफ गवाही देने आए दिनेश भवचंदानी पर बाइक सवार दो अज्ञात लोगों ने तेजाब फेंक दिया.

मई 2014 | अमृत ​​प्रजापति, गुजरात केस के गवाह

90 के दशक के अंत तक लगभग 12 वर्षों तक आसाराम के निजी आयुर्वेद चिकित्सक, अमृत प्रजापति को राजकोट में दो अज्ञात लोगों ने बहुत करीब से गोली मारी थी. उन्होंने एक महीने बाद अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया.

जनवरी 2015 | अखिल गुप्ता, गुजरात केस के गवाह

आसाराम के रसोइए और निजी सहयोगी अखिल गुप्ता की दो अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसने गवाही दी थी कि उसने दोनों बलात्कार पीड़ितों को आसाराम के कमरे में प्रवेश करते हुए देखा था.

फरवरी 2015 | राहुल के सचान, जोधपुर केस के गवाह

आसाराम के निजी चिकित्सक राहुल सचान को आसाराम के अनुयायियों में से एक ने जोधपुर अदालत में उस समय चाकू मार दिया जब वह गवाही देने वाले थे. घटना के बाद सचान को पुलिस गार्ड मुहैया कराया गया. सचान, हालांकि, 25 नवंबर 2015 को लापता हो गया.

मई 2015 | महेंद्र चावला, गुजरात केस के गवाह

आसाराम के पूर्व सहयोगी महेंद्र चावला को पानीपत में दो लोगों ने गोली मार दी थी. द वायर के अनुसार, उसने आसाराम और साई दोनों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता, डराने-धमकाने और भक्तों के यौन शोषण के आरोपों सहित विस्तृत गवाही दी थी.

जुलाई 2015 | सुधा पाठक, जोधपुर केस की गवाह

आसाराम की पूर्व अटेंडेंट सुधा पाठक जुलाई 2015 में एक सुनवाई में अपने बयान से मुकर गईं. News18 के मुताबिक, पाठक ने पहले कोर्ट को बताया था कि उनकी जान को खतरा है.

जुलाई 2015 | कृपाल सिंह, जोधपुर कांड के गवाह

यूपी के शाहजहांपुर में अज्ञात हमलावरों ने कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी. हमलावरों ने उसे गोली मारने के बाद आसाराम के खिलाफ गवाही न देने की चेतावनी दी. द वायर के अनुसार, मृत्यु पूर्व अपने बयान में सिंह ने हमलावरों की पहचान आसाराम के अनुयायियों के रूप में की थी. सिंह ने यह भी कहा था कि तीनों ने जोधपुर की अदालत में उनसे संपर्क किया था और मामले से हटने के बदले में उन्हें मोटी रकम देने की पेशकश की थी.

वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, आसाराम के खिलाफ तीन प्रमुख गवाहों की हत्या के आरोप में कार्तिक हलदर उर्फ ​​​​राजू दुलालचंद को मार्च 2016 में गिरफ्तार किया गया था.

जोधपुर मामले में पीड़िता के पिता को हलदर की गिरफ्तारी के एक सप्ताह के भीतर वापस लेने की धमकियां मिलने की खबरें भी सामने आईं.

धीमी गति से ट्रायल और जमानत का न मिलना

आसाराम ने राजस्थान उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए कई बार जमानत मांगी, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी और राम जेठमलानी जैसे प्रमुख वकीलों द्वारा उनके मामले को उठाए जाने के बावजूद उन्हें हर बार जमानत नहीं दिया गया. अगस्त 2016 में, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS को उनकी सेहत की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए कहा.

जनवरी 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम द्वारा दायर जमानत अर्जी को खारिज कर दिया और अपनी याचिका के साथ झूठे मेडिकल दस्तावेज संलग्न करने के लिए उसके खिलाफ एक नई प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “झूठी याचिका” (frivolous petition) दायर करने के लिए उन पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.