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मर्डर केस में सजा काट रहे कैदी ने IIT में पूरे देश में पाया 54वां रैंक

नवादा (TBN – The Bihar Now डेस्क)| कहा जाता है कि मन में कुछ करने की आशा हो तो हर मुश्किल को आसानी से दूर किया जा सकता है. जेल में बंद एक युवा कैदी ने कुछ ऐसा ही किया है, जो जेल में रहते हुए संभव नहीं था.

जी हां, हम बात कर रहे हैं हत्याकांड में जेल में बंद सूरज कुमार उर्फ ​​कौशलेंद्र की, जिसने आईआईटी की संयुक्त प्रवेश परीक्षा फॉर मास्टर्स (Joint Admission Test for Masters examination of IIT, JAM) परीक्षा पास की है. सूरज ने आईआईटी रुड़की द्वारा आयोजित इस परीक्षा में पूरे भारत में 54वां रैंक (Prisoner serving sentence in murder case qualified IIT exam, got 54th rank in All India) हासिल किया है.

विचारण बंदी सूरज वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के मोसमा गांव का रहने वाला है और हत्या के एक मामले में करीब एक साल से जेल में है. मंडल कारा नवादा (Mandal Kara Nawada) में रहते हुए उन्होंने इस कठिन परीक्षा की तैयारी की. परीक्षा की तैयारी में जेल प्रशासन ने उनकी काफी मदद की. कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने जेल में रहते हुए परीक्षा की तैयारी की.

अप्रैल 2021 में जेल गया था

सूरज हत्या के आरोप में अप्रैल 2021 से जेल में है. दरअसल, नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के मोसमा गांव में सड़क विवाद को लेकर दो परिवारों में जमकर मारपीट हो गयी. अप्रैल 2021 को हुए हमले में संजय यादव बुरी तरह घायल हो गए थे. इलाज के लिए पटना ले जाते समय उनकी मौत हो गई.

तब मृतक के पिता बसो यादव ने सूरज, उसके पिता अर्जुन यादव समेत नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी. 19 अप्रैल 21 को पुलिस ने सूरज समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, तब से सूरज जेल में है.

पिछले साल भी मिली थी कामयाबी लेकिन जेल जाने के कारण नहीं हो सका प्रवेश

खास बात यह है कि सूरज ने यह परीक्षा पिछले साल भी पास की थी और ऑल इंडिया में 34वां रैंक हासिल किया था लेकिन वह आखिरी वक्त में हत्या की इस घटना में फंस गया. जेल जाने के बाद भी सूरज के हौसले कम नहीं हुए और आज उन्होंने जेल में रहते हुए फिर से यह कारनामा किया है. जारी रिजल्ट में सूरज ने ऑल इंडिया में 54वां रैंक हासिल किया है.

इससे वह अब आईआईटी रुड़की में एडमिशन लेकर मास्टर डिग्री कोर्स कर सकेंगे. सूरज की इस उपलब्धि को जो भी जानता है, हर कोई उसकी तारीफ कर रहा है. इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है, जिसमें जेल प्रबंधन का भी पूरा सहयोग मिला.