शंकराचार्यों ने क्या योगदान दिया है?: राम मंदिर विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री का बयान
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Union minister Narayan Rane) ने शंकराचार्यों (Shankaracharyas) पर निशान साधते हुए कहा कि शंकराचार्यों ने हिंदू धर्म में क्या योगदान दिया है. राणे ने तब निशाना साधा जब शंकराचार्यों ने कहा कि वे अयोध्या में राम मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ (‘Pran Pratishtha’ of Ram Mandir) समारोह में शामिल नहीं होंगे.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शनिवार को नारायण राणे (Narayan Rane) ने पूछा, ”शंकराचार्यों का हिंदू धर्म में क्या योगदान है?” उन्होंने कहा कि शंकराचार्यों को शुभकामनाएं भेजनी चाहिए कि इतने वर्षों के बाद आखिरकार अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ.
आध्यात्मिक नेताओं ने कहा था कि अभिषेक के लिए अपनाए जा रहे अनुष्ठान “शास्त्रों के विरुद्ध” थे. ज्योतिर मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati) ने कहा कि शास्त्रों का “अज्ञानता का सबसे बड़ा कार्य” भगवान राम की मूर्तियों की स्थापना थी, जबकि मंदिर अभी भी निर्माणाधीन था.
शंकराचार्यों ने यह भी कहा कि समारोह में भाग लेने की उनकी अनिच्छा न तो भगवान राम के प्रति श्रद्धा की अस्वीकृति है और न ही वे “मोदी विरोधी” हैं.
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हालांकि, नारायण राणे ने कहा, “शंकराचार्य प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और बीजेपी (BJP) को राजनीतिक रूप से देख रहे हैं, लेकिन यह कार्यक्रम धार्मिक है, यह हमारे धर्म के बारे में है. राम हमारे भगवान हैं, और यह सब उनके बारे में है.”
राणे ने पीएम मोदी की भी तारीफ की और कहा कि वे ही हैं जो मंदिर बनवाने में सक्षम हैं.
केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ने कहा, “इतने सालों के बाद राम मंदिर बनाया जा रहा है. अब तक कोई भी ऐसा नहीं कर पाया है. किसी ने भी राम मंदिर मामले को नहीं उठाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले को उठाया.”
शंकराचार्य उन चार प्रमुख मठों या मठों के प्रमुख हैं जिनकी स्थापना आठवीं शताब्दी के हिंदू संत आदि शंकराचार्य ने की थी, जो हिंदू धर्म की अद्वैत वेदांत परंपरा के अनुयायी थे.
बताते चलें, अयोध्या में राम मंदिर की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ 22 जनवरी को होगी और पीएम मोदी इस कार्यक्रम की अगुवाई करेंगे. शुक्रवार को, प्रधान मंत्री ने अभिषेक समारोह से पहले 11 दिवसीय ‘अनुष्ठान’ (विशेष अनुष्ठान) शुरू किया.