बेरोजगारी और आर्थिक तंगी ने ली हजारों की जान

नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| केंद्र सरकार ने कहा है कि तीन वर्ष में आर्थिक तंगी के चलते दिवालिया होने और बेरोजगारी के कारण हजारों लोगों ने आत्महत्या कर ली है. इसकी जानकारी राज्यसभा (Rajya Sabha) में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Minister of State for Home Nityanand Rai) ने दी.
बुधवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री ने पिछले तीन सालों में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा (Number of suicides in the last three years) सामने रखा. सरकार की ओर से गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2020 में बेरोजगारी के कारण 3,548 लोगों ने खुदकुशी की जबकि 2018 से 2020 के बीच 16,000 से अधिक लोगों ने दिवालिया होने या कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या कर ली.
गृह राज्य मंत्री ने बताया कि पिछले तीन सालों की अवधि में बेरोजगारी के कारण 9,140 लोगों ने अपनी जान ले ली. गृह राज्य मंत्री ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि 2020 में 3548 लोगों ने जबकि 2019 में 2851 लोगों ने बेरोजगारी के चलते खुदकुशी की.
‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ चलाया जा रहा है
मंत्री ने यह जानकारी राज्यसभा सदस्य सुखरामसिंह यादव, छाया वर्मा और विश्वम्भर निषाद के सवालों के जवाब में दी. सरकार ने बताया, मानसिक दबाव कम करने के लिए देशभर में ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’ (National Mental Health Programme) चलाया जा रहा है.
क्या है ‘राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम’
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 7 अप्रैल, वर्ष 2017 को पारित किया गया था तथा यह 7 जुलाई, वर्ष 2018 से लागू हुआ था. मानसिक रोग से पीड़ित रोगियों की देखभाल और उपचार के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया. इसमें मानसिक रोग से पीड़ित का उपचार, उनके पुनर्वास तथा मानसिक स्वास्थ्य नियंत्रण एवं प्रोत्साहन का कार्य किया जाता है.
इस कार्यक्रम का का उद्देश्य मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाएं उपलब्ध करवाना तथा ऐसे व्यक्तियों की मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सेवाओं की डिलीवरी और इससे जुड़े मामलों अथवा इनसे संबद्ध घटनाओं के दौरान उनके अधिकारों को संरक्षा, प्रोत्साहन और पूर्णता प्रदान करना है.
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बताते चले, एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में कर्नाटक (720) में बेरोजगारों ने सबसे अधिक आत्महत्याएं कीं, इसके बाद महाराष्ट्र (625), तमिलनाडु (336), असम (234), और उत्तर प्रदेश (227) का स्थान रहा.
वहीं, 2020 में दिवालियापन या कर्ज नहीं चुका पाने के कारण आत्महत्याओं में महाराष्ट्र पहले स्थान पर रहा. यह प्रदेश किसानों की सबसे अधिक आत्महत्याओं की रिपोर्ट करता है. महाराष्ट्र में 2020 में 1,341 आत्महत्या हुईं. इसके बाद कर्नाटक (1,025), तेलंगाना (947), आंध्र प्रदेश (782) और तमिलनाडु (524) का स्थान है. तमिलनाडु को छोड़कर अन्य राज्यों में आमतौर पर सबसे अधिक किसान आत्महत्याएं करते हैं.