बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पहले चरण के रिकॉर्ड तोड़ मतदान पर विश्लेषकों का ये है इशारा
> 18 जिलों की 121 सीटों पर हुआ शांतिपूर्ण मतदान
> अब तक का सबसे ऊंचा वोट प्रतिशत दर्ज
पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हुआ. इस चरण में करीब 3.75 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 65% (64.66%) लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जो अब तक के सभी चुनावों का रिकॉर्ड तोड़ प्रतिशत है.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने बताया कि राज्य के 45,341 मतदान केंद्रों में से 41,943 बूथों की रिपोर्ट के अनुसार 64.64% मतदान हुआ है. उन्होंने कहा कि बाकी बूथों की जानकारी मिलने के बाद यह आंकड़ा 70% से भी अधिक हो सकता है.
बंपर वोटिंग पर सियासी चर्चा तेज
इतनी बड़ी संख्या में मतदान होने के बाद अब राजनीतिक गलियारों में इसके मायने निकाले जा रहे हैं. आम तौर पर माना जाता है कि जब वोटिंग रिकॉर्ड तोड़ती है, तो यह सत्ता विरोधी लहर का संकेत होता है, लेकिन हाल के चुनावों ने इस सोच को बदल दिया है.
विश्लेषकों का कहना है कि इस बार मत प्रतिशत बढ़ने के पीछे सिर्फ एंटी-इनकमबेंसी नहीं, बल्कि महिलाओं, युवाओं और सामाजिक जागरूकता की बढ़ती भूमिका भी अहम कारण है.
महिलाओं की बड़ी भूमिका, बढ़ी राजनीतिक जागरूकता
‘हिन्दुस्तान’ के प्रधान संपादक शशि शेखर ने बताया कि मतदान प्रतिशत में वृद्धि की सबसे बड़ी वजह महिलाओं की सक्रियता रही. सुबह से ही अधिकतर मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में महिलाएं लाइन में खड़ी दिखीं.
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उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा महिलाओं को दी गई आर्थिक सहायता (₹10,000 की राशि) से उनमें राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है. इसके चलते परिवार के पुरुष सदस्य भी मतदान के लिए प्रेरित हुए.
वोट चोरी के खिलाफ जागरूकता अभियान का असर
शशि शेखर ने बताया कि राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को उठाने और ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकालने से बिहार में भी जागरूकता बढ़ी.
लोगों में यह भावना जागी कि उनका वोट कोई “चुरा” न ले, इसलिए इस बार सभी वर्गों ने पहले से अधिक संख्या में मतदान किया. उन्होंने चुनाव आयोग की सख्ती और पारदर्शी व्यवस्था को भी रिकॉर्ड मतदान का एक बड़ा कारण बताया.
SIR और राहुल गांधी की यात्राओं का असर
वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने कहा कि बिहार में हाल में हुई SIR प्रक्रिया और राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने मतदाताओं को अपने वोट के महत्व का एहसास कराया.
SIR के तहत राज्य के करीब 65 लाख मतदाता नामांकन सूची से हटाए गए, जिससे बाकी मतदाता अधिक जागरूक और सक्रिय हुए. वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने भी कहा कि राहुल गांधी की यात्राओं ने राजनीतिक रूप से निष्क्रिय मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित किया.
युवाओं और EBC समुदाय की बढ़ी भागीदारी
वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने बताया कि इस चुनाव में युवाओं और अत्यंत पिछड़े वर्गों (EBC) की भागीदारी में जबरदस्त इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि NDA द्वारा “जंगलराज की वापसी” का डर दिखाने के बावजूद युवाओं ने निर्भीक होकर मतदान किया. हालांकि नीतीश कुमार के खिलाफ कोई बड़ी लहर नहीं दिखी, लेकिन उनके पारंपरिक वोट बैंक में बिखराव और नाराजगी जरूर दिखाई दी.
राजकिशोर ने यह भी बताया कि मोकामा प्रकरण के बाद धानुक जाति के मतदाता आक्रामक होकर वोट करने निकले. वहीं, मल्लाह समुदाय में राहुल गांधी के मछली पकड़ने वाले अभियान और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम बनाने के ऐलान का असर देखने को मिला. इसके अलावा आईपी गुप्ता के प्रभाव से तांती-ततवा जैसी EBC जातियां भी इस बार पहले से ज्यादा सक्रिय नजर आईं.
बिहार चुनाव के पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान ने साफ कर दिया है कि इस बार जनता बदलाव से ज्यादा भागीदारी को प्राथमिकता दे रही है. महिलाएं, युवा और पिछड़े वर्ग—तीनों ने मिलकर लोकतंत्र को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है. अब सभी की निगाहें दूसरे चरण पर हैं, जो यह तय करेगा कि इस जोश का राजनीतिक असर किस दल के पक्ष में जाता है.

