सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के वारंट पर लगाई रोक
नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी के निर्देश वाले पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक (Supreme Court stays Patna HC warrant against Sahara chief Subrata Roy) लगा दी है और उनके खिलाफ आगे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है.
पटना उच्च न्यायालय ने इससे पहले दिन में स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अदालत में उपस्थित नहीं होने के लिए रॉय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
रॉय को न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकल पीठ ने 12 मई को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था, जिसमें विफल रहने पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था. अदालत सहारा इंडिया द्वारा कथित धोखाधड़ी से संबंधित 2000 से अधिक मामलों की सुनवाई कर रही है. कंपनी पर हजारों निवेशकों से लिया गया पैसा वापस नहीं करने का आरोप है.
रॉय के वकील ने गुरुवार को दावा किया था कि सहारा इंडिया के प्रमुख की तबीयत खराब है और उन्होंने इस संबंध में चिकित्सा दस्तावेज जमा किए हैं. हालांकि, अदालत आश्वस्त नहीं हुई. रॉय ने अदालत में बीमारी और अपनी उम्र (74) का हवाला देते हुए उन्हें आभासी तरीके से अदालत में पेश होने की अनुमति देने की अपील की थी. हालांकि, अदालत ने कथित तौर पर रॉय के वकील से कहा कि वह अदालत से बड़े नहीं हैं.
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इससे पहले की सुनवाई में हाईकोर्ट ने सहारा समूह से कहा था कि वह यह बताए कि वह बिहार के लोगों की गाढ़ी कमाई को कैसे लौटाना चाहता है, जिसे फर्म ने विभिन्न योजनाओं में निवेश किया था.
रॉय के वकील ने तब अदालत में एक अंतरिम आवेदन दायर किया था जिसमें कहा गया था कि निवेशकों का बकाया पैसा वापस करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार है और वे तुरंत इसके लिए 5 करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए तैयार हैं.
सहारा पर आरोप
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन (Sahara India Real Estate Corporation) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (Sahara Housing Investment Corporation) ने ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर के जरिए 2.5 करोड़ निवेशकों से करीब 24,000 करोड़ रुपये जुटाए. यह अप्रैल 2008 में हुआ जब एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल ने ओएफसीडी जारी करना शुरू किया. सितंबर 2009 में, सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ के लिए बाजार नियामक सेबी (SEBI) को दस्तावेज जमा किए.
सेबी को 25 दिसंबर, 2009 और 4 जनवरी, 2010 को दो शिकायतें मिलीं, जिसमें दावा किया गया था कि दोनों कंपनियां कथित रूप से वैकल्पिक पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर रही थीं और गलत तरीकों से धन जुटा रही थीं. सेबी की एक जांच में पाया गया कि एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल ने लगभग 2.5 करोड़ निवेशकों से ओएफसीडी के माध्यम से लगभग 24,000 करोड़ रुपये जुटाए.
अनियमितताओं का पर्दाफाश होने के बाद सेबी ने दोनों कंपनियों को पैसा जुटाना बंद करने और निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ पैसा वापस करने का आदेश दिया. हालांकि, मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप सामने आते ही चीजें गतिरोध में आ गईं. समय के साथ, सहारा इंडिया के बैंक खाते और संपत्तियां फ्रीज कर दी गईं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रॉय को 26 जनवरी 2014 को गिरफ्तार किया गया था. प्रवर्तन निदेशालय ने सहारा समूह पर नवंबर 2017 में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया. लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद सुब्रत रॉय को जमानत मिल गई. इस बीच, देश भर की अदालतों में मुकदमा चल रहा है.