सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की शाहनवाज हुसैन की अपील, अब उनपर चलेगा रेप केस
नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| दुष्कर्म के एक मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश को चुनौती देने वाली बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन (BJP’s Shahnawaz Hussain) की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भाजपा नेता शाहनवाज की एसएलपी (SLP) को खारिज (Supreme Court dismisses plea by Shahnawaz Hussain challenging direction to register FIR against him in rape case) कर दिया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court order) द्वारा अपने आदेश में बलात्कार की शिकायत के संबंध में उनके खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने का निर्देश दिया गया था [सैयद शाहनवाज हुसैन बनाम स्टेट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली].
जस्टिस एस रवींद्र भट (Justice S Ravindra Bhat) और दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि शाहनवाज हुसैन को दोषी नहीं ठहराया गया था और कानून के तहत सभी उपाय उनके लिए उपलब्ध थे. कोर्ट ने शाहनवाज हुसैन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस मामले की सही जांच होनी चाहिए. इसमें दखल देने की कोई वजह नहीं दिखती है. कोर्ट ने शाहनवाज हुसैन से कहा कि आप सही होंगे तो बच जाएंगे. इस प्रकार बेंच ने हुसैन की अपील को खारिज कर दिया.
बता दें, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में भाजपा विधायक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी. खंडपीठ ने यह तर्क देते हुए निचली अदालत के समक्ष सभी लंबित कार्यवाही पर भी रोक लगा दी थी कि मामला विचार के लिए है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस अपील में, शाहनवाज हुसैन ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश से उनके बेदाग करियर और प्रतिष्ठा को “स्थाई रूप से नुकसान” होगा.
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यह आगे तर्क दिया गया कि हुसैन के खिलाफ शिकायत “झूठी, ओछी और दुर्भावनापूर्ण” थी और प्रतिशोध को खत्म करने के इरादे से की गई थी. यह प्रस्तुत किया गया कि शिकायतकर्ता ने पहले भी फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भाजपा नेता की मानहानि की थी.
क्या था मामला
बता दें, साल 2018 में दिल्ली की रहने वाली एक महिला ने केंद्र और बिहार सरकार में मंत्री शाहनवाज हुसैन पर आरोप लगाया था कि उसके साथ उन्होंने छतरपुर (Chattarpur) फॉर्महाउस में नशीला पदार्थ खाने और उसके साथ बलात्कार रेप किया. साथ ही उसने हुसैन पर कथित तौर पर उसे जान से मारने की धमकी की बात भी कही थी.
अपने आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए उस महिला ने महानगर मजिस्ट्रेट (Metropolitan Magistrate), साकेत कोर्ट का रुख किया था. मामले पर पुलिस ने अदालत में कहा था कि शाहनवाज के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता.
लेकिन 7 जुलाई 2018 को महानगर मजिस्ट्रेट ने पुलिस के तर्क को खारिज करते हुए पुलिस को भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि महिला ने जो शिकायत की है, वह एक संज्ञेय अपराध है.
महानगर मजिस्ट्रेट के फैसले को शाहनवाज ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली. उसके बाद सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शाहनवाज हुसैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में एक याचिका दायर की.
मामले पर विस्तृत सुनवाई के पूरा होने तक दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 जुलाई 2018 को प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी. मामले पर पूरा सुनने के बाद पिछले साल 17 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुनाया और सत्र अदालत के उस फैसले को बरकरार रखते हुए भाजपा नेता की याचिका खारिज कर दी थी.