बढ़े हुए बिजली दर से राज्य के उद्योगों के सामने होगा गंभीर संकट : बीआईए
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए विद्युत दर (Electricity Tariff) निर्धारण से संबंधित बिहार विद्युत विनियामक आयोग द्वारा निर्गत आदेश पर अपनी बातों को साझा करने के उद्देश्य से बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा अपने परिसर में एक प्रेस वार्त्ता आयोजित की गई.
प्रेस वार्त्ता को संबोधित करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष अरूण अग्रवाल ने सर्वप्रथम बिहार विद्युत विनियामक आयोग द्वारा निर्गत टैरिफ आदेश पर असंतोष एवं गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार में बिजली की दरें विशेष कर व्यवसायिक एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली दर पहले से ही देश में सबसे अधिक है. यह राज्य के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन में एक प्रमुख अवरोधक के रूप में चिन्हित किया जा चुका है. इसके बावजूद, बिहार विद्युत विनियामक आयोग द्वारा दोनों Discoms यथा NBPDCL & SBPDCL के लिए दिनांक 23 मार्च 2023 के अपने आदेश के माध्यम से विद्युत दरों तीव्र वृद्धि की गई है जो 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगी.
बिहार राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा प्रतिवर्ष विद्युत की दर निर्धारित की जाती है और दर निर्धारण के पूर्व व्यवसायिक एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं सहित आम जनता से आयोग द्वारा सुझाव / आपत्तियॉं प्राप्त करने के उद्देश्य से जनसुनवाई की जाती है. चूँकि बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए राज्य में Apex Representative संस्था है इसलिए बीआईए द्वारा पूरी सक्रियता से उक्त जनसुनवाईयों में भाग लेता है तथा अपना विस्तृत सुझाव / आपत्तियॉं दर्ज कराता है. फरवरी 2023 में आयोजित अद्यतन टैरिफ सुनवाई के दौरान बीआईए द्वारा विस्तृत आपत्ति दर्ज की गई थी जिसमें साफ-साफ दर्शाया कि दोनों Discoms की संचरण एवं वितरण हानि (T&D Loss) साल-दर-साल बढ़ रही है जो अब 45 प्रतिशत की ऊॅंचाई तक पहुँच गई है और यह इसके बावजूद जबकि जनता के हजारों करोड़ रूपये विद्युत संचरण एवं वितरण से संबंधित नेटवर्क एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास पर खर्च हो रहे हैं. बिहार विद्युत विनियामक आयोग के मानक के अनुसार संचरण एवं वितरण हानि (T&D Loss) 15 प्रतिशत तक अनुमति हैं किन्तु उक्त मानक के पूरा नही किए जाने के कारण ईमानदार उपभोक्ताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
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अरूण अग्रवाल ने आगे बताया कि बिहार विद्युत विनियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ आदेश निर्गत की गई है उसके अनुसार Fixed Charge सभी वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए दुगुना हो गई जबकि यूनिट चार्ज में लगभग 25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने जा रही है. यह नोट करने का विन्दु है कि बिहार राज्य में औद्योगिक इकाईयॉं केवल एक पाली (Single Shift) में काम करती है. ऐसी स्थिति में विद्युत दर में होने जा रही 35 से 55 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी सभी श्रेणी के औद्योगिक उपभोक्ता चाहे वे LTIS श्रेणी में आ रहे हों या HT श्रेणी में उपरोक्त अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी को सहन कर पाना मुश्किल लग रहा है. नीचे हम एक ऑंकड़ा दे रहे हैं जो यह दर्शाता है कि पुराने विद्युत दर और नये विद्युत दर में अलग-अलग उपभोक्ता वर्ग पर कैसे 35 से 55 प्रतिशत तक की नये दर के अनुसार वृद्वि होने जा रही है.
Units per KVA | LTIS II | HTIS II | ||||
Old rate | New Rate | % Increase | Old Rate | New rate | % increase | |
50 | 10.00 | 15.14 | 51.14% | 12.50 | 19.07 | 52.56% |
100 | 8.20 | 11.54 | 40.73% | 9.50 | 13.57 | 42.84 % |
150 | 7.60 | 10.34 | 36.05% | 8.50 | 11.74 | 38.11% |
200 | 7.30 | 9.74 | 33.42% | 8.00 | 10.82 | 35.25% |
अग्रवाल ने आगे बताया कि बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन लगातार संचरण एवं वितरण हानि जो राज्य में 45 प्रतिशत के लगभग है कि ओर सरकार तथा विद्युत विनियामक आयोग का ध्यान आकृष्ट करते रहा है. यदि संचरण एव वितरण हानि को निर्धारित 15 प्रतिशत की सीमा पर विद्युत कम्पनियॉं रखें तो राज्य में विद्युत दर में बढ़ोत्तरी की कोई आवश्यकता ही नही रहेगी. विद्युत कम्पनियों के असक्षमता का अनावश्यक बोझ राज्य के ईमानदार उपभोक्ताओं को सहन करना पड़ रहा है. वास्तव में संचरण एवं वितरण हानि का इतना ज्यादा अधिक होने का कारण बिजली की बड़ी मात्रा में चोरी है जिसको विद्युत कम्पनियॉं नही रोक पा रही हैं.
बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन के ऊर्जा उप-समिति के चेयरमैन बासुदेव प्रसाद ने कहा कि पड़ोसी राज्यों खासकर पश्चिमी बंगाल तथा झारखंड में औद्योगिक उपभोक्ताओं को DVC से प्राप्त होने वाली बिजली का दर काफी कम है जिसके कारण हमारे राज्य की औद्योगिक इकाईयॉं खासकर ऊर्जा ज्यादा खपत करने वाली इकाईयॉं जैसे कि स्टील पलान्ट द्वारा उत्पादित माल तुलनात्मक रूप में काफी महँगी होती हैं. एक बार फिर से 35 से 55 प्रतिशत तक की विद्युत दर में की गई बढ़ोत्तरी राज्य की इकाईयों को कुचल देने वाली साबित होगी. राज्य सरकार के औद्योगिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयास भी अवरोधित होगें तथा राज्य में रोजगार के नये अवसर सृजन में बाधा उत्पन्न होगा. उन्होंने आगे कहा कि पूरे देश में वस्तु एवं सेवा कर की दर एक समान हो जाने के परिपेक्ष्य में भी यह बढ़ोत्तरी राज्य के इकाईयों के लिए घातक साबित होगी. बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन लगातार सरकार से अपने प्रदेश के उद्योगों को प्रतिस्पर्द्धा में सक्षम बनाने के उद्देश्य से विद्युत अनुदान की माँग करता आ रहा है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सरकार औद्योगिक उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी वर्ग के उपभोक्ताओं को विद्युत अनुदान उपलब्ध करा रही है.
एक बार पुनः बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन सरकार से नये दर के लागू होने के कारण होने वाली बढ़ोत्तरी के भार को वहन करने के उद्देश्य से राज्य के औद्योगिक उपभोक्ताओं को 3 रूपये प्रति यूनिट की दर से विद्युत अनुदान देने की माँग करने जा रही है. यदि राज्य सरकार हमारे उद्योग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नही करेगी तो राज्य के उद्योगों के समक्ष गंभीर संकट इकाईयों के संचालन को लेकर होगा. कुछ इकाईयॉं तो बन्द भी होगीं.
(इनपुट-बीआईए विज्ञप्ति)