DGP की नियुक्ति को चुनौती देने वाली PIL पर SC ने बिहार, UPSC से मांगा जवाब

नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक के रूप में एसके सिंघल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर बिहार सरकार और यूपीएससी (SC issues notice to Bihar Government & UPSC on PIL challenging appointment of DGP S K Singhal) को नोटिस जारी किया.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की पीठ (A bench of Chief Justice of India NV Ramana and Justices AS Bopanna and Hema Kohli) ने बिहार निवासी नरेंद्र कुमार धीरज (Bihar resident Narendra Kumar Dheeraj) द्वारा दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा. इस जनहित याचिका में कहा गया है कि डीजीपी की नियुक्ति में शीर्ष अदालत के 2006 के फैसले का उल्लंघन किया गया है.
शीर्ष अदालत ने 1988 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी सिंघल से भी जवाब मांगा, जिन्हें दिसंबर 2020 में दिसंबर 2022 के महीने में समाप्त होने वाले दो साल के लिए राज्य के डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया है. सिंघल को दिसंबर 2020 में राज्य का डीजीपी नियुक्त किया गया था.
सुनवाई की शुरुआत में धीरज की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जय सल्वा (Senior Advocate Jai Salva) ने कहा कि सिंघल को डीजीपी नियुक्त करते हुए प्रदेश सरकार ने प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन किया है.
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बता दें, प्रकाश सिंह मामले में 2006 (Prakash Singh case verdict of 2006) के शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया था कि एक राज्य के डीजीपी को “राज्य सरकार द्वारा विभाग के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से चुना जाएगा, जिन्हें यूपीएससी द्वारा उस रैंक पर पदोन्नति के लिए पुलिस बल का नेतृत्व करने के लिए उनकी सेवा की लंबाई, बहुत अच्छा रिकॉर्ड और अनुभव की व्यापकता के आधार पर पैनल में रखा गया है.”
शीर्ष अदालत ने कहा था कि एक बार नौकरी के लिए चुने जाने के बाद, उनका कार्यकाल कम से कम दो साल का होना चाहिए, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो.