कोलंबो: प्रदर्शनकारियों ने श्रीलंकाई पीएम विक्रमसिंघे के घर में लगाई आग
कोलंबो (TBN – The Bihar Now डेस्क)|अभूतपूर्व आर्थिक संकट से नाराज श्रीलंकाई प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Prime Minister Ranil Wickremesinghe) के निजी आवास में तोड़-फोड़ की और उसमें आग लगा दी.
कुछ ही घंटे पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग के साथ, उन्होंने परिसर में धावा बोल दिया, पुलिस द्वारा लगाए गए सुरक्षा घेरे को तोड़ दिया, स्विमिंग पूल में डुबकी लगाई और उनकी रसोई और घर में घूमे.
डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा बलों ने कई पत्रकारों पर भी हमला किया जिसके बाद इलाके में और प्रदर्शनकारी जमा हो गए. इससे पहले पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे लेकिन इसके बावजूद वे उनके घर में घुस गए और घर में आग लगा दी.
इस बीच, कोलंबो नगर परिषद (Colombo Municipal Council) फायर ब्रिगेड ने कहा कि उन्हें सूचित किया गया था कि कोलंबो में प्रधान मंत्री के निजी आवास में आग लगा दी गई है. लेकिन उनकी टीम अशांत माहौल के कारण उस स्थान पर पहुंचने में असमर्थ थी.
विक्रमसिंघे, जिन्हें मई में प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था, ने सरकार की निरंतरता और सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है.
विक्रमसिंघे ने ट्विटर पर कहा, “सभी नागरिकों की सुरक्षा सहित सरकार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, एक सर्वदलीय सरकार के लिए रास्ता बनाने के लिए मैं आज पार्टी नेताओं की सबसे अच्छी सिफारिश को स्वीकार करता हूं. इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, प्रधान मंत्री के पद से मैं इस्तीफा दे दूंगा.”
इससे पहले, श्रीलंका के प्रधान मंत्री ने एक बयान में कहा कि उन्होंने यह निर्णय इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए लिया है कि द्वीप-व्यापी ईंधन वितरण इस सप्ताह शुरू होना है, विश्व खाद्य कार्यक्रम निदेशक इस सप्ताह देश का दौरा करने वाले हैं और ऋण स्थिरता आईएमएफ के लिए रिपोर्ट को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाना है.”
बयान में कहा गया है, “नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, वह विपक्षी पार्टी के नेताओं की इस सिफारिश से सहमत हैं.”
इस बीच, श्रीलंकाई सांसद हर्षा डी सिल्वा ने कहा कि पार्टी के अधिकांश नेताओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे पर सहमति जताई थी. साथ ही, स्पीकर को राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम 30 दिनों के लिए कार्य करने पर सहमति व्यक्त की थी. उन्होंने आगे कहा कि संसद के शेष कार्यकाल के लिए नेताओं ने सांसद के चुनाव पर भी सहमति व्यक्त की. उन्होंने कहा, “अगले कुछ दिनों में सर्वदलीय अंतरिम सरकार की नियुक्ति हो जाएगी.”
इससे पहले, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने स्थिति पर चर्चा करने और एक त्वरित समाधान पर आने के लिए एक आपातकालीन पार्टी नेताओं की बैठक बुलाईत थी.
डेली मिरर ने ट्वीट किया, प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति भवन में घुस गए हैं. श्रीलंका की पुलिस ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर आज एक नियोजित विरोध प्रदर्शन से पहले शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार रात 9 बजे से पश्चिमी प्रांत में कई पुलिस डिवीजनों में कर्फ्यू लगा दिया.
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पुलिस ने कहा कि कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. श्रीलंकाई प्रकाशन ने कहा कि उन क्षेत्रों में यात्रा करना जहां पुलिस कर्फ्यू लागू है, पूरी तरह से प्रतिबंधित है और पुलिस ने लोगों को अन्य वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी है.
बिगड़ती आर्थिक स्थिति से भयंकर तनाव
श्रीलंका में बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने तनाव को बढ़ा दिया है और पिछले कुछ हफ्तों में, ईंधन स्टेशनों पर व्यक्तियों और पुलिस बल के सदस्यों और सशस्त्र बलों के बीच कई टकराव की खबरें आई हैं, जहां हजारों की संख्या में हताश जनता घंटों और कभी-कभी दिनों से कतार में खड़े हैं. पुलिस ने कई बार बिना मतलब के आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया है. कई मौकों पर, सशस्त्र बलों ने गोला बारूद भी दागा है.
1948 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जो कि COVID-19 की लगातार आ रही लहरों के कारण और खराब हो गया है.
श्रीलंका में तेल आपूर्ति की कमी ने स्कूलों और सरकारी कार्यालयों को अगली सूचना तक बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है. घरेलू कृषि उत्पादन में कमी, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और स्थानीय मुद्रा मूल्यह्रास ने कमी को हवा दी है. विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, देश में आर्थिक संकट परिवारों को भूख और गरीबी में धकेल देगा. महामारी के कारण 5 लाख की आबादी गरीबी रेखा से नीचे आ गई हैं.