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डोलो-650 के निर्माता ने आरोपों को बताया तथ्यहीन

नई दिल्ली / बेंगलुरू (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बेंगलुरू स्थित दवा कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड (Micro Labs Limited) ने 19 अगस्त को उस आरोप को ‘आधारहीन और गलत’ करार दिया जिसमें कहा गया कि कंपनी ने डोलो-650 (Dolo 650) टैबलेट को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को 1,000 करोड़ रुपये का उपहार दिया था.

कंपनी ने दावा किया कि जब कोविड अपने चरम पर था तब ब्रांड ने सिर्फ 350 करोड़ रुपये का कारोबार किया था. ऐसे में इतनी अधिक राशि खर्च करके दवा को बढ़ावा देना उसके लिए असंभव था.

कंपनी के मार्केटिंग के कार्यकारी उपाध्यक्ष जयराज गोविंदराजू ने कहा, “उस कंपनी के लिए अपने एक ब्रांड के मार्केटिंग पर 1000 करोड़ रुपये खर्च करना असंभव है, जिसने कोविड वर्ष में 350 करोड़ का कारोबार किया था. वह भी तब जब डोलो 650 एनएलईएम (NLEM) के अंतर्गत आता है.”

उन्होंने यह भी दावा किया कि कोविड के समय सिर्फ डोलो टैबलेट ही नहीं, बल्कि विभिन्न कंपनियों के कई अन्य उत्पाद थे जिनका व्यापक रूप से उपयोग किया गया था. इन सभी ने इतना ही व्यापार किया था.

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ डोलो 650 ही नहीं था, यहां तक ​​कि विटामिन सी और विटामिन काम्बीनेशन जैसी अन्य COVID प्रोटोकॉल दवाओं ने भी COVID के दौरान कुछ इसी तरह का बिजनस किया था.”

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बता दें, गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने डोलो 650 के निर्माता माइक्रो लैब्स लिमिटेड पर 1,000 करोड़ रुपये के उपहार देने जैसे आरोप से संबंधित मामले पर टिप्पणी करते हुए इसे एक “गंभीर मुद्दा” बताया था.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes – CBDT) के कुछ निष्कर्षों के आधार पर एक एनजीओ ने डॉक्टरों को दवाओं को लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे मुफ्त उपहारों से संबंधित मुद्दा उठाया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 10 दिनों के भीतर उस जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा, जिसमें दवा कंपनियों को डॉक्टरों को प्रोत्साहन के रूप में मुफ्त देने के लिए उत्तरदायी बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

जज ने कहा उन्हें भी डोलो लिखा गया था

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) की खंडपीठ को सूचित किया गया कि डोलो-650 मिलीग्राम टैबलेट के निर्माताओं ने रोगियों को इसकी बुखार-रोधी दवा लिखने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के उपहार डॉक्टरों को बांटने में निवेश किया था. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि यह एक “गंभीर मुद्दा” है और कहा कि COVID के दौरान उन्हें भी यही टैबलेट लिखा गया था.

फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Federation of Medical and Sales Representatives Association of India) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि सेंट्रल बोर्ड फॉर डायरेक्ट टैक्सेज ने डोलो-650 टैबलेट के निर्माताओं पर टैबलेट को निर्धारित करने के लिए डॉक्टरों को 1,000 करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार वितरित करने का आरोप लगाया है.