वापस नहीं होगी अग्निपथ भर्ती योजना – रक्षा मंत्रालय
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| केंद्र की रक्षा भर्ती योजना, ‘अग्निपथ’ के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच रविवार को रक्षा के तीनों शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि अग्निपथ जैसे रक्षा सुधार लंबे समय से लंबित थे क्योंकि सशस्त्र बल युवावस्था और अनुभव लाना चाहते थे. रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस योजना को वापस नहीं लिया जाएगा.
विभिन्न मंत्रालयों द्वारा ‘अग्निवर’ के लिए आरक्षण का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ये घोषणाएं पूर्व नियोजित थीं और यह अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद हुई आगजनी की प्रतिक्रिया में नहीं है. रक्षा मंत्रालय का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत में अग्निपथ योजना का विरोध हो रहा है.
बता दें, अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार और तेलंगाना में हिंसक घटनाएं हुई हैं. प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन की बोगियों, पुलिस वाहनों को आग लगा दी हैं और सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया हैं.
सैन्य मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने ब्रीफिंग में कहा, “यह सुधार लंबे समय से लंबित था. हम इस सुधार के साथ युवावस्था और अनुभव लाना चाहते हैं. आज, बड़ी संख्या में जवान अपनी 30 के दशक में हैं और अधिकारियों को पहले की तुलना में बहुत बाद में कमान मिल रही है.”
“लगभग 17,600 लोग हर साल रक्षा की तीनों सेवाओं से समय से पहले सेवानिवृत्ति ले रहे हैं. किसी ने भी उनसे यह पूछने की कोशिश नहीं की कि रिटायरमेंट के बाद वे क्या करेंगे.’
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रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि ‘अग्निवर’ को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में वही भत्ता मिलेगा जो वर्तमान में सेवारत नियमित सैनिकों पर लागू होता है. सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा.
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा कि ‘अग्निपथ योजना’ के तहत सैनिकों को 50,000 – 60,000 रुपये दिया जाएगा जो बाद में बढ़कर 1 लाख रुपये हो जाएगी. उन्होंने कहा, “हमने योजना का विश्लेषण करने और बुनियादी ढांचा क्षमता बढ़ाने के लिए अभ 46,000 रुपये से छोटी शुरुआत की है.”
इस प्रेस ब्रीफ़ में एयर मार्शल एसके झा ने बताया कि ‘अग्निवीर’ बैच नंबर 1 पंजीकरण प्रक्रिया 24 जून से शुरू होगी और 24 जुलाई से चरण-1 ऑनलाइन परीक्षा प्रक्रिया शुरू होगी. पहले बैच को दिसंबर तक नामांकित किया जाएगा और प्रशिक्षण 30 दिसंबर तक शुरू होगा.