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“अब हम तो सफर करते हैं”…….. लता दीदी ने दुनिया को कहा अलविदा

मुंबई (TBN – The Bihar Now डेस्क)| “खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं….” – भारत व पूरे विश्व की स्वर कोकिला ‘भारत रत्न’ लता मंगेश्कर अब हमारे बीच नहीं रहीं. उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पातल ((Breach Candy Hospital)) आज सुबह 8.12 बजे अंतिम सांसें लीं. उनके निधन से परिवार सहित बॉलीवुड इंडस्ट्री, उनके फैंस और म्यूजिक इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है.

उनके डॉक्टर डॉ प्रतीत समदानी (Dr Pratit Samdani) ने बताया कि गायिका की मृत्यु मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के कारण हुई. ब्रीच कैंडी अस्पताल के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ का 28 दिनों के अस्पताल में भर्ती होने के बाद COVID उपचार के दौरान निधन हो गया.

ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ने जारी किया बयान

मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उपचार कर रहे डॉ प्रतीत समदानी ने कहा, “यह बहुत दुख के साथ है कि हम सुबह 8:12 बजे लता मंगेशकर के निधन की घोषणा करते हैं. अस्पताल में भर्ती होने के 28 दिनों से अधिक समय के बाद मल्टी-ऑर्गन फेल्योर के कारण उनकी मृत्यु हो गई है.” लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पार्थिव शरीर को शिवाजी पार्क ले जाया जाना है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी रविवार की सुबह दिग्गज गायक को देखने वाले अंतिम व्यक्तियों में से एक थे.

बता दें, 92 वर्षीय लता मंगेशकर को कोरोना वायरस से संक्रमित और निमोनिया पाए जाने के बाद पिछले 8 जनवरी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था. वह अस्पताल के आईसीयू (ICU) में थी और उनकी तबीयत ठीक हो रही थी. लेकिन अचानक शनिवार को उनकी हालत में गड़बड़ी के कारण उन्हें दुबारा वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.

शनिवार को लता मंगेशकर का इलाज कर रहे डॉक्टर प्रतीत समधानी ने समाचार एजेंसी को बताया था कि लता जी की तबीयत फिर से बिगड़ गई थी. उन्हें वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया था.डॉक्टर्स की एक टीम उनकी लगातार निगरानी कर रही थी.

प्रधानमंत्री ने दुख जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर के निधन पर गहरा दुख प्रकट किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “लता दीदी के गानों ने कई तरह के इमोशन्स को उभारा. उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा. फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं. वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थी”.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा शोक एवं दुख व्यक्त किया

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर गहरा शोक एवं दुख व्यक्त किया है. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व० लता मंगेशकर प्रख्यात पार्श्व गायिका थीं. उन्हें भारत रत्न, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, फिल्मफेयर लाइफटाइम एचिवमेंट पुरस्कार सहित कई अन्य खिताबों से सम्मानित किया गया था. वे भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा की सदस्य रह चुकी थीं. आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी. उनका निधन देश के लिये अपूरणीय क्षति है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

लता मंगेशकर

28 सितंबर, 1929 को जन्मीं लता मंगेशकर को देश की सबसे महान पार्श्व गायिकाओं में से एक के रूप में जाना जाता है. ‘मेलोडी की रानी’, ‘लता दीदी’ के नाम से मशहूर गायिका ने छत्तीस से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं. उनके कुछ लोकप्रिय गीत – ऐसा देश है मेरा, लग जा गले, मेरे मितवा मेरे मीत रे, एक प्यार का नगमा है, ये गलियां ये चौबारा, जिंदगी की ना टूटे लादी, ऐ मेरे वतन के लोगन और अन्य हैं.

लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं. जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है. लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फ़िल्मी गीत गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है.

अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है. लता की जादुई आवाज के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं. लता दीदी को भारत सरकार ने ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया है.

लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई थी. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं. पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा था. उन्होंने काफी संघर्ष के बाद संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया था. लता दीदी के निधन से आज पूरे देश में शोक की लहर है.