गंगा विलास क्रूज छपरा में फंसा नहीं : आईडब्ल्यूएआई
छपरा / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| फ्लैगशिप गंगा विलास क्रूज छपरा में फंसा नहीं है. सोमवार को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India) ने इस बात का खंडन किया कि यह क्रूज छपरा के चिरांद सारण के पास गंगा नदी में उथले पानी के कारण फंस गया है. आपको बता दें, आज सुबह मीडिया में यह खबर आई थी कि क्रूज छपरा में फंस गया है. जबकि यह आज देर दोपहर पटना पहुंच चुका है.
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष संजय बंदोपाध्याय ने बताया है कि फ्लैगशिप गंगा विलास क्रूज पटना पहुंच गया है और यह अपने निर्धारित समय के अनुसार अपनी आगे की यात्रा जारी रखेगी.
आईडब्ल्यूएआई (IWAI) ने बंदोपाध्याय के हवाले से एक ट्वीट में कहा, “गंगा विलास क्रूज तय कार्यक्रम के अनुसार पटना पहुंच गया. इस खबर में बिल्कुल सच्चाई नहीं है कि जहाज छपरा में फंस गया है. जहाज तय समय के अनुसार अपनी आगे की यात्रा जारी रखेगा.”
वहीं, छपरा के सीओ सतेंद्र सिंह ने कहा कि स्थानीय पत्रकारों ने पहले उन्हें गलत तरीके से पेश किया. सिंह ने मीडिया एजेंसी एएनआई को बताया, “स्थानीय पत्रकारों ने मुझे गलत बताया है, मैंने अभी कहा कि एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) की नावें एहतियात के तौर पर मौके पर थीं. वहां किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं है.”
रूटीन सतर्कता उपाय
उन्होंने कहा कि ‘नियमित एहतियाती उपाय’ (routine precautionary measure) के तौर पर एसडीआरएफ की नौकाएं ”जिला अधिकारियों द्वारा” मुहैया कराई गई हैं. क्रूज के संचालकों ने यह भी कहा कि यह फंसा नहीं है और तकनीकी रूप से किनारे पर नहीं जा सकता क्योंकि वहां नदी गहरी नहीं है. साइट को देखने के लिए उतरने और आगे बढ़ने के लिए उथली नावों का उपयोग करना पड़ता है. मुख्य जहाज मुख्य चैनल में रहता है जहां पानी होता है. यहां यही हुआ है. यह एक सामान्य बात है,” इग्ज़ाटिक हेरिटिज ग्रुप के अध्यक्ष राज सिंह (Raj Singh, Chairman, Exotic Heritage Group) ने बताया.
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ऑपरेटरों ने यह भी कहा कि अपने ग्राहकों के साथ जहाज शेड्यूल के अनुसार चल रहा है और पटना में लंगर डाला गया है और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के बाद रवाना होगा. उन्होंने कहा कि मेहमानों को किनारे तक ले जाने के लिए तकनीकी रूप से छोटी नावों की जरूरत होती है. हमारे पास सुंदरबन और पश्चिम बंगाल के बाकी हिस्सों के लिए भी यही व्यवस्था है. यह योजना हमेशा से रही है. हां, अगर जहाज किनारे पर आता है तो यह फंस सकता है और इसलिए स्थिति से बचने के लिए हम स्थानीय नावों का उपयोग करते हैं जो स्थानीय लोगों को कुछ आय भी प्रदान करती हैं.