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अनलॉक 1.0 नई चेतना की शुरुआत है, राजनीति के लिए भी और आमलोगों के लिए भी

पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट) | लॉक डाउन 4 के समाप्त होते – होते बहुत कुछ साफ भी हो चुका था. मसलन कोरोना का अपने देश मे असर और इससे सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र. केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिका, देश भर की स्वास्थ्य सेवाओं का हाल और आम आदमी का आचरण.

अनलॉक 1.0 ने बहुत सारी सम्भावनाओं और बन्दिशों के दरवाजे खोले हैं. सरकार की कमियों पर यदि आम आदमी ध्यान देने लगे तो विपक्ष लकीर का फकीर ही बना रहेगा.

अनलॉक 1.0 में जिम्मेदारी और उसकी लापरवाही दोनो सामने आने वाली है. विपक्ष को उसके हाल पर छोड़ना पड़ेगा और सरकार “अब” क्या करती है यह सामने आनेवाला है.

इसकी वजह है. देश के आमलोगों को अब खुद को अनलॉक करने की भी जरूरत है. ऐसा इसलिए भी कि देश की हर गतिविधि और विकास का नियामक इस देश की राजनीति है. मजेदार यह है कि यह अनकहा है, किसी भी राजनीतिक दल में यह कहने की हिम्मत कभी नही देखी गयी, लेकिन देशवासी यह जरूर सुनता रहा कि “हमको मौका दीजिये, हम आपका भविष्य बदल देंगे”.

इसलिए हर देशवासी के सामने यह जरूरत है कि पहले वह अपने आप को अनलॉक करे. ऐसा इसलिए भी कि उसे यह भी समझना है कि कोरोना ने क्या – क्या बदल दिया.

सबसे प्रभावित क्षेत्रों को छोड़ पूरे देश को अनलॉक करने का यह आशय कदापि नही है कि कोरोना संकट दूर हो गया. इस बीमारी की विशेषता यह है कि बस, किसी का चेहरा (कोरोना संक्रमित) आपके चेहरे के सामने आ जाय…..कोरोना अपना काम कर देगा और कुछ समय बाद ही आपको पता चल पाएगा. अब इसकी संभावना ज्यादा है इसलिए अनलॉक 1 में सबों को और ज्यादा होशियार भी रहना होगा.

यह सतर्कता जीवन और कार्यशैली में बदलाव लाने वाली है. इस बदलाव से राजनीति भी अछूती नही रहेगी. सभी राजनीतिक दलों के लिए यह बदलाव नया होगा और इस नयेपन में खुद को ढालना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. इसलिए आम देशवासी अब जितना ज्यादा खुद को अनलॉक करेगा, बहुत आसानी से वह उन तमाम राजनीतिक चीजों को देख और समझ पायेगा जिसका अनुभव उसने अबतक नही किया.

यह समझना गलत नही है कि अनलॉक 1.0 का एक मतलब यह भी है कि सरकार ने आपको, आपके हाल पर छोड़ दिया है. अब अगर आप कोरोना पीड़ित होते हैं तब स्वास्थ सम्बन्धी सुविधाओं की खामियों से भी आपको जूझना पड़ेगा. उस समय सरकार का वास्तविक चरित्र सामने आएगा. यानी, आपको राहत नही मिलने वाली है. अभीतक का अनुभव यही है.

इसलिए सरकार के आश्वासनों पर भरोसा करने के बजाय अनलॉक 1.0 में देशवासी खुद पर भरोसा करे वही बढ़िया है. सरकार यह तो चाहती ही है कि लोग उसपर आश्रित रहें जबकि आजतक वह लोगों के भरोसे पर उतर नही पायी है.