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प्रदर्शनकारियों को रोजगार देने का निर्णय नियोक्ताओं का: एडीजी

चरित्र प्रमाण पत्र को लेकर पुलिस मुख्यालय की तरफ से सफाई,
लोकतंत्र में सबको अपनी मांगों के खिलाफ प्रदर्शन का अधिकार,
लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से होना चाहिए

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मंगलवार को पारित डीजीपी के आदेश पर बुधवार को बिहार के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) जितेंद्र कुमार ने स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा कि चरित्र सत्यापन को लेकर जारी आदेश को गलत तरीके से समझा गया है. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि लोकतंत्र में सबको अधिकार है कि वह अपनी मांगों के खिलाफ प्रदर्शन कर सकता है. लेकिन यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि ‘मुख्यालय की तरफ से सभी थाना और एसपी को बस इतना ही निर्देशित किया गया है कि वह किसी भी व्यक्ति के चरित्र सत्यापन के दौरान उनसे जुड़ी सही जानकारी संबंधित विभागीय संवेदक को दें. बाकि आगे करने में संबंधित विभाग संवेदक ही लेगा. लोकतंत्र में विरोध-प्रदर्शन करने का हक सभी को है. इस पर पुलिस कभी भी रोक नहीं लगा सकती है. हां अगर वह विरोध-प्रदर्शन के दौरान कानून को अपने हाथों में लेगा तो इसकी जानकारी उनके चरित्र प्रमाण पत्र में अंकित रहेगी”।

एडीजी के अनुसार जो नियोजनकर्ता है उनके विवेक पर या उनके बनाई गई नीति पर निर्भर करता है कि वह इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं. इसका निर्णय पुलिस द्वारा नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पुलिस नियोक्ता को केवल जानकारी प्रदान करेगी. उस व्यक्ति को नौकरी देने या न देने का निर्णय नियोक्ता का होगा.

मीडिया को जितेंद्र कुमार ने बताया, “मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बिहार पुलिस का यह नया निर्देश ‘चरित्र सत्यापन रिपोर्ट’ के संबंध में है. इस संबंध में हमने यह जोड़ा है कि यदि कोई व्यक्ति आपराधिक गतिविधियों में शामिल है और उसका आपराधिक रिकॉर्ड है, तो हमें इसे उनके चरित्र सत्यापन रिपोर्ट में चिह्नित करना चाहिए.”

पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह नया निर्देश ‘चरित्र सत्यापन रिपोर्ट’ को भरने के लिए एक संशोधन के अलावा और कुछ नहीं है.

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डीजीपी एसके सिंघल ने मंगलवार को निर्देश में कहा था, “यदि कोई व्यक्ति किसी भी कानून-व्यवस्था की स्थिति, विरोध, सड़क जाम में उलझकर किसी आपराधिक कृत्य में शामिल होता है और इसके लिए पुलिस द्वारा आरोप लगाया जाता है, तो इसका उल्लेख पुलिस द्वारा विशेष रूप से चरित्र सत्यापन रिपोर्ट में करना होगा.”

उस आधिकारिक पत्र में कहा गया है, “ऐसे लोगों को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि वे सरकारी नौकरी पाने या सरकारी निविदाओं के लिए आवेदन करने में सक्षम नहीं होंगे.”

कुछ दिनों पहले, सोशल मीडिया पोस्ट पर कार्रवाई का आदेश जारी करने को लेकर बिहार सरकार को विपक्षी दल की आलोचना मिली थी. आर्थिक अपराध इकाई के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नैय्यर हसनैन खान ने 21 जनवरी को एक निर्देश जारी कर कहा था कि “सरकार, मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करना साइबर अपराध की श्रेणी में आता है. ऐसे व्यक्तियों या समूह के खिलाफ कार्रवाई करना सही है.”

बता दें कि पुलिस मुख्यालय के द्वारा जारी पत्र वायरल होने के बाद विपक्ष द्वारा लगातार सरकार और पुलिस मुख्यालय के द्वारा दिए गए आदेश की आलोचना शुरू हो गई है. जिसके बाद पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय की ओर से सफाई दी.