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नियोजित शिक्षक: यह काम कर बचा लीजिए अपनी नौकरी

सरकार ने दिया नियोजित शिक्षकों के लिए नया आदेश,
विभाग के वेब पोर्टल पर अपलोड करना होगा सभी प्रमाणपत्र,
अपलोड नहीं करनेवाले शिक्षकों की सेवा हो जाएगी समाप्त,
वेतन वसूली के लिए होगी आवश्यक कार्रवाई.

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राज्य के शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने नियोजित शिक्षकों (Niyojit Teachers) के लिए नया आदेश जारी किया है. इसके मुताबिक, वैसे शिक्षक, जिनके प्रमाणपत्र की अभी तक जांच नहीं हो पाई है, को अपने सभी प्रमाण-पत्र वेबपोर्टल पर अपलोड करना होगा.

जैसा सर्व विदित है, नियोजित शिक्षकों के नाम पर बिहार में हमेशा से खूब पॉलिटिक्स होती रही है. बार-बार पुराने नियमों को बदल कर नए नियम बना दिए जाते हैं लेकिन नियोजित शिक्षकों का मसला सुलझता नहीं है.

लेकिन अब बिहार सरकार ने काफी सख्ती बरतते हुए नए नियम को लागू करवाने में लगी है. इस स्थिति में नियोजित शिक्षकों और उनसे जुड़े लोगों के लिए यह एक बेहद जरूरी खबर हो सकती है.

प्रमाणपत्रों को वेब पोर्टल पर अपलोड करना होगा

नए नियमों के मुताबिक शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किया है कि वर्ष 2006 से 2015 तक नियोजित हुए शिक्षकों को अपने प्रमाणपत्रों को वेब पोर्टल पर अपलोड करना होगा. विभाग के निर्देशानुसार वैसे शिक्षक जिनके प्रमाणपत्रों की जांच अभी तक नहीं हो पाई है, को अपने सभी प्रमाण-पत्र वेबपोर्टल पर खुद अपलोड करना होगा. ऐसा नहीं करने वालों की सेवा खत्म कर उनसे वेतन वसूली भी कि जाएगी.

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प्राथमिक शिक्षा विभाग (Department of Primary Education) के निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह के अनुसार करीब 1 लाख 3 हजार ऐसे शिक्षकों की सूची विभाग के पोर्टल पर जारी की जाएगी. सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला, प्रखंड और नियोजन इकाईवार शिक्षकों की सूची अपलोड करेंगे.

प्राथमिक शिक्षा निदेशक के निर्देशानुसार ऐसे शिक्षकों को तय समय सीमा के अंदर अपने सभी आवश्यक सर्टिफिकेट और नियोजन पत्र को पोर्टल पर अपलोड करना होगा. उनके अनुसार, शिक्षा विभाग इस बावत पोर्टल तैयार करा रहा है. इसके चालू होते ही प्रमाणपत्र अपलोड करने की तारीख भी जारी कर दी जाएगी.

जो अपलोड नहीं करेंगे, उनकी सेवा होगी समाप्त

जैसा कि मालूम है, कुछ दिनों पहले ही पटना हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जाए. इस पर राज्य के विजिलेंस विभाग द्वारा कदम उठाया जा रहा है. वैसे, नियोजन इकाइयों पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगता रहा है. इसी के मद्देनजर शिक्षा विभाग ने प्रमाणपत्र जांच करने की वैकल्पिक व्यवस्था की है.

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विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि वैसे शिक्षक जो अपना प्रमाणपत्र अपलोड नहीं करेंगे, तो ये मान लिया जाएगा कि शिक्षकों को अपनी नियुक्ति की वैधता के संबंध में कुछ नहीं कहना है. फिर विभाग द्वार ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध मानकर कार्रवाई की जाएगी.

इसके बाद जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा ऐसे शिक्षकों की सूचना संबंधित नियोजन इकाई को दी जाएगी. नियोजन इकाइयों द्वारा स्पष्टीकरण पूछकर उनकी सेवा समाप्त करने के बाद वैसे शिक्षकों को पहले किए गए वेतन भुगतान की राशि वसूलने के लिए कार्यवाई की जाएगी.

निगरानी की जांच पिछले 5 वर्षों से

बता दें कि निगरानी विभाग को 2015 में शिक्षक नियोजन में चुने गए शिक्षकों के फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 5 साल से ज्यादा वक्त से ये जांच चल रही है. सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी के जरिए कराई जा रही है. इसके लिए बिहार सहित दूसरे राज्यों के बोर्ड और विश्वविद्यालय से भी संपर्क किया गया है.

बताते चलें कि निगरानी विभाग की जांच में अबतक 1 हजार 132 फर्जी प्रमाणपत्र मिले हैं. विभाग द्वारा 419 प्राथमिकी भी दर्ज करा दी गई है. वहीं इस कार्य में हो रही देरी को लेकर निगरानी विभाग का कहना है कि प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं होने की वजह से जांच में देर हो रही है.