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लॉकडाउन का असर – 380 किमी दूरी तय करने को पैदल ही निकल पड़े 300 लोग

पटना (संदीप फिरोजाबादी की रिपोर्ट) :- भारत में लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ा है जो अपने घर से दूर दो वक़्त की  रोजी रोटी कमाने के लिए बाहरी राज्यों में जाकर बस जाते हैं और दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. उन मजदूरों का घर रोजाना कमाए गए रुपयों से चलता है. अब ऐसे में देशभर में लॉकडाउन घोषित होने की वजह से फैक्ट्री और कंपनियों में ताला लग गया है. जिसके कारण वहां रोज़ाना काम करके घर चलाने वाले मजदूरों की आमदनी का जरिया खत्म हो गया है और उनके खाने के भी लाले पड़ गए हैं. ऐसी हालात को देखते हुए भूखे मरने से अच्छा वो अपने घर अपने राज्य जहाँ के वो निवासी है वहीँ बापिस लौटकर आ रहे हैं.   

ऐसा ही एक नज़ारा अनीसाबाद चौराहे से बाइपास पर देखने को मिला जहाँ सिर पर गृहस्थी का सामान लादकर जाते हुए करीब 100 महिला, पुरुष, युवा और बच्चे पैदल ही चले जा रहे थे. लोगों से पूछने पर जो पता चला वो हैरान करने वाला था, लोगों ने बताया कि वे भदोही में एक फैक्ट्री में काम करते हैं. लॉकडाउन की वजह से फैक्ट्री पर ताला लटक गया. अब ऐसी परिस्थिति में उनके पास अपने घर पलायन के अलावा और दूसरा कोई चारा नहीं बचा है. पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके जैसे ही लगभग 300 लोग और हैं जो पैदल ही निकल पड़े हैं.

भारत में लॉकडाउन की वजह से सभी यातायात बंद होने के कारण आवागमन पूरी तरह बंद हो चुका है सभी तरीके के पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बस यहाँ तक कि ट्रेन सेवाएं भी बंद कर दी गयी हैं अब उनके पास पैदल चलने के अलावा दूसरा कोई और विकल्प नहीं बचा है. लोगों के बारे में अधिक जानकारी जुटाने पर उन्होंने बताया कि वे लोग 24 मार्च की दोपहर 3 बजे बनारस के भदोही जिले से मोकामा के लिए पैदल निकले थे. रास्ते में एक ट्रक ड्राइवर ने कुछ पैसे लेकर उन्हें बनारस तक पहुंचा दिया. उसके बाद जमुनिया तक 70 किमी की लंबी दूरी पैदल ही तय की. वहां से ट्रक से चौसा पहुंचे. 25 मार्च की सुबह वहां से पैदल यात्रा आरंभ की. 27 मार्च की सुबह 128 किमी की दूरी तय कर पटना पहुंच गए. शनिवार शाम तक अपने घर पहुंच जाएंगे.

लॉकडाउन के बाद से भारत के कई राज्यों में इसी तरह के हालात लगातार देखने को मिल रहे हैं जिनसे राज्य सरकारों के मदद के दावों की पोल खुलती सी नज़र आ रही है जिसमे कहा जा रहा था कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया के जरिये उन लोगों की मदद के लिए आगे आये हैं जो लोग अपने घरों से दूर अन्य राज्यों में फंसे हैं या बिहार में ही मुसीबतों का सामना कर रहे हैं. हलांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा एक नया और अच्छा कदम उठाते हुए बाहर के राज्यों में फंसे हुए बिहार के नागरिकों के लिए संबंधित राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन से राहत मुहैया कराने का आग्रह किया गया है इसके साथ ही संबंधित राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन से से कहा है कि  “बिहार सरकार के खर्चे पर वहां रह रहे बिहारियों को भोजन और रहने की सुविधा दी जाए”. लेकिन इस तरह के हालात देखने के बाद ये सारे दावे खोखले से नज़र आते हैं.