बिहार में सीबीआई इंट्री पर रोक का मामला अधर में
पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| बाहर से दिखने में जितनी सहज, अन्दर से उतनी ही असहज है बिहार की महागठबंधन की सरकार. इसका ताजा उदाहरण है सीबीआई (CBI) के बिहार प्रवेश पर राजद (RJD) की रोक (ban of CBI in Bihar) की मंशा और जदयू (JDU) का ऐसी किसी सम्भावना से ही इंकार.
महागठबंधन सरकार में यह ताजा स्थिति है जिसने एक तरह से राजद को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है. तब कोई आश्चर्य नहीं होगा जब आने वाले समय में इसकी प्रतिक्रिया दिखाई पड़े.
उधर, जदयू के एजेंडे में शामिल कई बातों में एक बात आगामी लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी को टक्कर देना प्रमुख मसला है. मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं. नीतीश भी भ्रष्टाचार के खिलाफ रहने का दावा करते हैं. ऐसे में यदि उनकी सरकार सीबीआई प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय लेगी तो मोदी के मुकाबले खड़े होने के पहले ही नीतीश बैकफुट पर आ जायेंगे.
राजद की सीबीआई से परेशानी स्वाभाविक हो सकती है. पर, महागठबंधन की सरकार में रहते हुए बिना घटक दलों से विमर्श किए ऐसे निर्णय के बारे में सोचना और यह मान लेना कि सरकार इसे पास कर देगी, इसका मैसेज ये जा सकता है कि नीतीश कुमार वास्तव में एक कमजोर सीएम हैं.
तेजस्वी यादव के पास राजद की कमान है और एक लम्बा भविष्य सामने है. भ्रष्टाचार के मामले में चल रही सीबीआई जांच की जद में आ चुके तेजस्वी यादव के लिए इससे बच के निकल जाना कठिन है. पिता लालू यादव का हश्र सामने है. यह वैसी पृष्ठ भूमि है जिसपर राजद और तेजस्वी दोनों का भविष्य निर्भर करता है. ऐसे में सीएम के राजद की मंशा के उलट स्टैण्ड का मैसेज भी तेजस्वी के हक में नहीं कहा जा सकता, जिसकी प्रतिक्रिया भी स्वाभाविक है.
पिछले 24 अगस्त को लालू-तेजस्वी के बेहद करीबी जिन 6 लोगों के यहां छापेमारी हुई, वहां से मिले 200 सेल डीड्स पर सम्भावित कार्रवाई से राजद की परेशानी बढ़ेगी ही. शायद यह बड़ी वजह रही हो जिसके तहत राजद नेताओं ने सीबीआई इंट्री पर रोक लगाना बेहतर समझा हो, पर सीएम स्तर से वह खारिज किया जा चुका है. तब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या इससे महागठबंधन सरकार की जटिलता बढ़ेगी…….यह आने वाले समय में ही स्पष्ट होगा.