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मैथ की थ्योरी को अंगुलियों पर नचाते ये इंटरनेशनल चैंपियन भाई-बहन

brain o brain champions navya singh and samyak singh

बाढ़ (अखिलेश कु सिन्हा – The Bihar Now रिपोर्ट)| ये हैं इंटरनेशनल चैंपियंस. ब्रेन ओ ब्रेन के 6वें इंटरनेशनल ऑनलाइन प्रतियोगिता के अंतरराष्ट्रीय चैंपियंस. नाम है सम्यक राज सिंह और नव्या सिंह. दोनों भाई बहन ने जो कमाल किया है उसे करने में बड़े-बड़े दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे. गणित के जिस समीकरण को करने के लिए हम आप अक्सर कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते हैं, ये दोनों बच्चे उंगलियों की बाजीगरी के जरिए सवाल का जवाब पलक झपकते ही दे देते हैं.

पटना के रामनगर दियारा के रहनेवाले सम्यक राज सिंह कक्षा चौथी के छात्र हैं. रामनगर दियारा पंचायत अथमलगोला ब्लॉक में पड़ता है जो पटना मुख्य शहर से पचास किलोमीटर दूर है. सम्यक ने अपनी उंगलियों के कमाल से 45 देश से ज्यादा और 25 हजार से ज्यादा बच्चों की ब्रेन-ओ-ब्रेन की इंटरनेशल प्रतियोगिता में चैंपियनशिप अवॉर्ड हासिल किया.

सम्यक की महज साढ़े पांच साल की छोटी बहन नव्या सिंह भी इंटरनेशनल चैंपियन हैं. भाई के साथ-साथ बहन ने भी ब्रेन-ओ-ब्रेन की इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भी चैंपियनशिप पदक हासिल किया है. दुनिया भर में चंद बच्चों को ही सबसे बड़ा ‘चैंपियनशिप अवॉर्ड’ दिया जाता है. यही वजह है कि इस अवॉर्ड को पाकर नन्हीं नव्या सिंह भी बेहद खुश है.

रामनगर दियारा गांव के तिनखुट्टी टोला में सम्यक राज सिंह और नव्या सिंह का पैतृक घर है. गांव पर दादा ,दादी ,चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहन रहते हैं. सम्यक और नव्या के दादा जी रामस्वारथ सिंह, कुशेश्वर सिंह और शिवशंकर सिंह नौकरी से रिटायरमेंट के बाद रामनगर दियारा गांव में ही रहते हैं.

शानदार कामयाबी से परिजन काफी खुश

गांव में खुशी की लहर हैं. गांव पर रहनेवाले सम्यक के चाचा पंकज सिंह समेत घरवाले इन बच्चों की शानदार कामयाबी से काफी खुश हैं. लेकिन सबसे ज्यादा खुशी इन दोनों बच्चों के चाचा विकास कुमार और चाची सुनीति सिंह को हैं. सम्यक के चाचा विकास कुमार सरकारी बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर हैं जबकि चाची सुनीति सिंह सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. दोनों से मिली प्रेरणा और मम्मी-पापा के अथक प्रयास ने इन बच्चों को इस मुकाम पर पहुंचाया है.

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सम्यक और नव्या अपनी कामयाबी के लिए दादी को श्रेय देना नहीं भूलती हैं. ये बच्चे प्यार से अपनी दादी को मां बुलाते हैं . इनका कहना है कि मां ने हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है. वो चट्टान की तरह हमेशा खड़ी रहती हैं.

फिलहाल सम्यक और नव्या दोनों बच्चों की पढ़ाई नोएडा में हो रही है. कामयाबी बड़ी है लिहाजा खुशियां भी बड़ी. नोएडा के सेक्टर 52 में ब्रेन ओ ब्रेन सेंटर की संचालिका सीमा शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चैंपियनशिप अवॉर्ड लेने के बाद खुशी जाहिर की. नव्या इस सेंटर से पिछले 78 महीनों से जुड़ी हैं जबकि सम्यक 3 साल से ज्यादा वक्त से अबेकस के गुर सीख रहे हैं.

कोरोना के संकट काल में जब बच्चे बाहर निकलने से हिचक रहे हैं, स्कूल भी बंद हैं, वैसे में ऑनलाइन के जरिए स्कूलों की पढ़ाई हो रही है. इसी ऑनलाइन के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के 45 से ज्यादा देशों के बच्चों ने ब्रेन-ओ-ब्रेन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. नोएडा सेक्टर 52 ब्रेन ओ ब्रेन सेंटर के बच्चों ने कमाल कर दिया. कई बच्चों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चैंपियनशिप के साथ गोल्ड और सिल्वर मेडल हासिल किया.

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अबेकस एक प्राचीन गणना की विधि है जिसके जरिए पलक झपकते बड़े-से-बड़े गणितीय समीकरण को हल किया जा सकता है. सम्यक और नव्या ने इस विधा में अपनी-अपनी कैटेगेरी में इतिहास रचा है. ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौड़ सिटी में रहनेवाले इन दोनों भाई-बहन की जोड़ी ने इससे पहले रिजनल स्तर पर भी कमाल किया था. चार राज्यों के बच्चों के बीच सम्यक और नव्या सिंह ने चैंपियनशिप की ट्राफी अपने नाम की थी.

ब्रेन-ओ-ब्रेन के रिजनल हेड अनुराग खेतान ने “ब्रेन-ओ-ब्रेन इंटरनेशनल प्रतियोगिता” के चैंपियन भाई-बहन सम्यक और नव्या सिंह को शुभकामनाएं दी है. खेतान ने कहा कि कोरोना के समय में जब बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पाते हैं, तब उनकी जिंदगी में ऐसी प्रतियोगिता कमाल का असर करती है.

अबेकस एक लैटिन शब्द है. इसका मतलब टेबल या टैबलेट होता है. ब्रेन ओ ब्रेन में पहले बच्चों को बीड्स पर गणित के गुणा-भाग,जोड़-घटाव सिखाए जाते हैं और फिर उंगलियों के जरिए तकनीक बताई जाती है. नव्या सिंह इसी तकनीक के जरिए चंद सेकेंड में किसी भी सवाल का जवाब बता देती है. इससे आगे बढ़ने पर बीड्स के बाद उंगलियों के जरिए ये बच्चे अंकगणित को आसान बना देते हैं. सम्यक राज सिंह और नव्या सिंह की कामयाबी ने पटना के रामनगर दियारा गांव का सिर गर्व से ऊंचा किया है.