यह एक विशेष घटना के तौर पर रेलवे के इतिहास हो जायेगी में दर्ज
छपरा (TBN रिपोर्ट) | साधारण दिनों में ट्रेन की लेट लतीफी की खबरें आम ही रहती थीं. लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना काल मे भी ट्रेनों की लेट लतीफी की घटना सुर्खियाँ बटोर रही हैं. लेट लतीफी तो खैर अलग बात है. ट्रेनों के भटकने का नया खेल आजकल चर्चा का विषय बनी हैं.
ट्रेन कंट्रोल रूम से नियंत्रित होती है, यह सबको पता है. लेकिन लगातार कई ट्रेनें कंट्रोल से बाहर हो – यह एक विशेष घटना के तौर पर रेलवे के इतिहास में दर्ज हो जायेगी. यह विश्व के लिये अनोखी घटना भी होगी.
ट्रेनों की भटकने और विलंब से अपने निर्धारित स्टेशन पर पहुंचने की घटनाओं में एक और मामला गुरुवार रात्रि जुड़ गया. हुआ यह की मुम्बई के नागपाड़ा से दरभंगा के लिए चली. रास्ते में ट्रेन जब छपरा पहुंची तो उसे दरभंगा तक की दूरी तय करने में सिर्फ 5 घण्टे का सफर बचा था. यानी लगभग 150 किलोमीटर की यात्रा शेष थी. ट्रेन में सवार यात्री भी अपने घर जल्दी पहुंचने की उम्मीद में खुश हो रहे थे.
तभी छपरा जंक्शन पर उन्हें ज्ञात हुआ कि रेलवे उनकी सुखद वापसी में खलनायक बन गया है और अब उन्हें वापस उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से कप्तानगंज, नरकटियागंज, बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर होते हुए उल्टे रूट से दरभंगा जाने को विवश होना पड़ेगा.
यात्री इस सूचना के मिलते ही बौखला गए और उन्होंने छपरा जंक्शन के तीन नम्बर प्लेटफॉर्म पर हल्ला हंगामा शुरू कर दिया. कुछ यात्री जंक्शन के एक नम्बर प्लेटफॉर्म पर पहुँच गए. यहाँ जीआरपी और आरपीएफ ने उन्हें रोक लिया. फिर यात्रियों से बातचीत शुरू हुई.
उस ट्रेन के यात्री 150 किलोमीटर की यात्रा को 650 किलोमीटर की यात्रा में परिवर्तित होने से खासे खफा थे और उन्होंने इसका विरोध भी किया. हालांकि जिला पुलिस बल के अधिकारियों और जवानों को स्थिति नियंत्रित करने के लिए भेजा गया. उसके बाद यात्री शांत हुए.
ट्रेन रात ग्यारह बजे छपरा स्टेशन से खुली
इसी बीच स्टेशन के उद्घोषक ने ट्रेन के पुनः मुजफ्फरपुर जाने की सूचना दी और सिवान, गोरखपुर के यात्रियों को ट्रेन से उतरने को कहा.
यात्रियों के विरोध को देखते हुए, दरभंगा जानेवाले यात्रियों को इसी ट्रेन से भेज गया जबकि सिवान, गोरखपुर जाने वाले यात्रियों के लिए दूसरे ट्रेन की व्यवस्था छपरा से की गई. इसके बाद रात्री लगभग 11 बजे यह ट्रेन अपने गंतव्य दरभंगा के लिए छपरा से खुली.