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कीर्तिमान स्थापित करता वाल्मीकि टाईगर रिजर्व क्षेत्र; घड़ियालों के जन्म से हुआ गुलजार

बगहा (इमरान अजीज की विशेष रिपोर्ट) | वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और सरकार के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. दरअसल पश्चिम चंपारण जिला की सीमा में बहने वाली गंडक नदी का तट नवजात घड़ियालों और मगरमच्छों के झुंड से चहक उठा है और महज़ 6 वर्षों में यहां 15 से 260 तक घड़ियाल और मगरमच्छ की तादाद में बढ़ोतरी हुई है.

बताया जा रहा है कि बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में गंडक नदी तट इन दिनों घड़ियालों की आवाज से गुंजायमान है. इस बार दर्जनों की संख्या में घड़ियालों ने जन्म लिया है. ऐसा पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में घड़ियालों ने जन्म लिया. खास बात यह है कि ये घड़ियाल दुर्लभ डायनासोर प्रजाति के हैं. आज घड़ियाल देश दुनिया से विलुप्त होने की कगार पर खड़े हैं ऐसे में गंडक नदी में इनकी अच्छी संख्या होना इनके अधिवास और प्रजनन का एक सुखद अनुभव और शुभ संकेत है.

नेपाल की ओर से आने वाली नारायणी गंडक नदी में घड़ियालों और मगरमच्छ की बढ़ती संख्या को देखते हुए वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में वर्ल्ड वाइल्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार सरकार द्वारा घड़ियालो के लिए सुरक्षित अभ्यारण्य क्षेत्र बनाने की भी तैयारी चल रही है.

गंडक नदी में मौजूदा समय में सैकड़ो घड़ियाल हैं विगत 6 वर्ष पूर्व भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का यहां सर्वे हुआ जिसमें गंडक नदी में केवल एक दर्जन ही घड़ियाल मिले थे. जबकि अब इनकी संख्या 260 के क़रीब हो गई है तभी तो इनके बढ़ती संख्या को देखते हुए संवर्धन (पालन-पोषण ) के लिए सरकार ने कई सार्थक प्रयास कर बेहतरी के कदम उठाए हैं.
गंडक नदी के तट पर इन घाटों के किनारे झुंड में इनकी उछल कूद का नजारा देख कर इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है तो वहीं WWF के अधिकारी और कर्मचारी आह्लादित हैं.

गंडक नदी में पहली बार दर्जनों की तादाद में घड़ियाल के बच्चे जन्मे हैं. इन्हें देखकर वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है. गंडक नदी में घड़ियालों के साथ-साथ मगरमच्छ और डॉल्फिन सहित अन्य जीव-जंतुओं का निवास स्थान है.

जानकारी के मुताबिक मार्च के आख़िर और अप्रैल से जून तक घड़ियाल का प्रजनन काल रहता है. मई-जून में मादा रेत में 30 से 40 सेमी का गड्ढा खोद कर 40 से लेकर 70 अंडे देती है. करीब दो महीने भर बाद अंडों से बच्चे मदर कॉल करते हैं जिसे सुन मादा रेत हटा कर बच्चों को निकालती है और गंडक नदी में ले जाती है.

घड़ियालों के बच्चों का जीवन बचाने के लिए कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है. हालांकि, सबसे बड़ा खतरा तो जीवनदायिनी गंडक नदी के कटाव से ही रहती है. इसकी मुख्यधारा में आकर कई घड़ियालों के बच्चों की मौत भी हो जाती है और तट पर अंडे कटाव के चलते नदी में तेज़ धार में बह जाते हैं इसलिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों द्वारा नदी किनारे बसे किसानों और मछुआरों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित कर उन्हें घड़ियालों के अंडे का सरंक्षण कर उसे हैचिंग कराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसी प्रशिक्षण का नतीजा है कि गंडक नदी तट आज 86 घड़ियालों के जन्म से गुलजार हुआ है और विभाग की मेहनत भी रंग लाने लगी है.

आपको बताएं की दुनिया भर में जहां आज मात्र 6 जगहों पर ही घड़ियाल और मगरमच्छ प्रजनन की व्यवस्था है ऐसे में बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाईगर रिजर्व क्षेत्र के गंडक नदी और सहायक नहरों में मगरमच्छ प्रजनन और घड़ियाल का अधिवास व बढ़ती संख्या कीर्तिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर है जो देश के लिए गौरव की बात है.