नियोजित हड़ताली शिक्षक भुखमरी के कगार पर
पटना (संदीप फिरोजाबादी की रिपोर्ट) :- बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के लगभग चार लाख नियोजित शिक्षक समान काम, समान वेतन के साथ सात सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल ख़त्म न करने की जिद पर अड़े हुए शिक्षकों के सामने अब भूखमरी जैसी समस्या आ गयी है. लेकिन अब भी हड़ताली शिक्षक पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान की मांग कर रहे हैं.
राज्य सरकार के द्वारा नियोजित शिक्षकों के कार्यावधि का भी वेतन रोक देने से शिक्षकों को घर चलाने के लिए मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षकों की मांग को गैरकानूनी ठहराते हुए कहा था कि “आप 4 लाख हो जबकि बिहार की आबादी 12 करोड़ है. हमारी जितनी हैसियत है, उतना हम बढ़ाते रहेंगे, लेकिन शिक्षकों की यह मांग जायज नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम किसी का बुरा नहीं करेंगे. हम शिक्षकों के पक्ष में है. हमने 1500 से उनके वेतनमान को बढ़ाकर कहां से कहां पहुंचा दिया. हमारी सहानुभूति है, लेकिन शिक्षक छात्र-छात्रओं का अहित करेंगे, तो लोगों की सहानुभूति नहीं मिलेगी. ये गैरकानूनी काम है”.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा शिक्षकों की मांग एवं हड़ताल की अनदेखी करने से परेशान होकर पर हड़ताली शिक्षकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ईमेल भेजकर अपनी व्यथा व्यक्त की है. इसके साथ ही शिक्षक महामहिम राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी ईमेल भेज कर न्याय की गुहार लगाएंगे. बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के प्रमुख घटक टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पाण्डेय ने कहा कि “एक तरफ कोरोना आपदा दूसरी तरफ सरकार की अनदेखी से शिक्षक और शिक्षक परिवार के समक्ष जीवनमरण का संकट पैदा हो गया है. इस परिस्थिति में भी शिक्षक कोरोना महामारी के खिलाफ वालिंटयरी को तैयार हैं. लंबित वेतन का भुगतान रोककर सरकार ने हड़ताली शिक्षकों को भूखों मरने छोड़ दिया है. हड़ताली शिक्षकों के लंबित वेतन का भुगतान रोकना अमानवीय है. कोई भी संवेदनशील सरकार अपने कर्मियों से इस तरह से पेश नही आ सकती. राज्य सरकार को अविलंब शिक्षकों के लंबित वेतन का भुगतान करना चाहिए”.