रोबोटिक सर्जरी – एक वरदान

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पटना (TBN रिपोर्टर) | अनुप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन के कंसलटेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन एवं हेड ऑफ आथ्रोप्लास्टी यूनिट, डॉ आशीष सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि आज मेडिकल साइंस ने बहुत ही उन्नति कर ली है, आज कल विदेशों में रोबोटिक मेडिकल उपकरण द्वारा इलाज हो रहा है, इसी क्रम में देश में पहला मेडिकल रोबोट मेको चेन्नई में स्‍थापित है, वही खुशी की बात यह है की देश दुसरा मेडिकल रोबोट मेको अपने बिहार प्रदेश में आ रहा है, जो कि पटना के अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ रिहैबिलैटेशन सेंटर में इस साल स्थापित होगा.. आज हम गठिया और इससे संबंधित समस्‍याओं की बात करें तो यह दर्द, कार्यक्षमता की कमी, विकलांगता, आयु कम होना , साइत्यादि के लिये जिम्मेदार है, कुल्हा और घुटना के जोड़ प्रत्यारोपण की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस सर्जरी से मरीज को दर्द मुक्त जीवन मिलता है, और उनका जीवन सरल हो जाता है, लेकिन सर्जरी की इन बढ़ती संख्याओं के बीच एक प्रश्न है कि कैसे हम जोड़ों के दर्दको सटीके तरीके से ठीक कर सकते है, कैसे हम नवीनतम और अत्याधुनिक तकनीक से अपने समाज को जोड़ो के दर्द से निजात दिला सकते है, पश्चिम देशों में नवीनतम रोबोटिक तकनीक का इस्तेमाल सर्जरी के लिये होता है, इस सर्जरी के दौरान सटीक गाईडलाइंस मिलती है, जिससे जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी के बेहतरीन परिणाम मिलते हैं. रोबोटिक सर्जरी द्वारा आशिंक घुटना प्रत्यारोपण भी संभव है, इस प्रक्रिया में घुटना के अप्रभावित हिस्से को बचाकर खराब हिस्से को ही हटाते है, ऑपेरेशन के बाद मरीज को पूर्ण मोबोलिटी मिलती है, साथ ही मरीज जमीन पर भी आसानी से बैठ सकते है, जो कि लोगों केलिये वरदान साबित होगा, रोबोटिक सर्जरी में एक सॉफ्टवेयर होता है, जिसकी सहायता से हड्डियों को किस कोण पर काटना है, कितना काटना है, वह भी कोशिका को बिना नुकसान पहुंचाये बिना ,साथ में इसमें रक्त स्त्राव भी कम से कम होता है, fat embolism की घटना कम, implant बिस्कुल जगह पर होता है, कुल मिलाकर आप कह सकते है कि इसका परिणाम सामान्य सर्जरी से बेहतर होता है.
जहां सामान्य जोड़ प्रत्यारोपण में सटीकता 60 से 70 प्रतिशत होती है, वही रोबोटिक सर्जरी द्वारा इसकी सटिकता 98 प्रतिशत तक होती है, इस रोबोटिक सर्जरी तकनीक को सीखने में बहुत कड़ी मेहनत और बहुत सारी रिर्सच की जरूरत हेती है, जिसे आजसके तारीख में सिर्फ अमेरिका में रोबोटिक आर्म एस्टिटेंट सिस्टम उपयोग हो रहा है, जहां लाखों लोगों को इलाज हो चुका है, दुनिका में कुछ ही स्थान पर इसकी ट्रेनिंग होती है, इसलिये मैंने ट्रेनिंग के लिये सबसे अच्छी जगह अमेरिका को चुना जहां मैंने लेटेस्ट रोबोटिक एस्सिटेंट ज्वांइट सर्जीकल में फैलोशिप कर रहा हूं. मेरा मानना है कि भारत के लोगों का जोड़ प्रत्यारोपण अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीक से होना चाहिये, ताकि हम जोड़ से संबंधित लोगों सटिक, बेहतर इलाज अपने प्रदेश में ही कर सके और हम भी पश्चिम देशों के उन्नत तकनीक इस्तेमाल कर, उन्हीं के तर्ज परअपने प्रदेश और देश में मेडिकल सुविधा विकसित कर सके.