राजद, कांग्रेस इस सप्ताह के अंत में सीट बंटवारे की करेगी घोषणा

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क) | राजद, कांग्रेस-वाम गठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे के अंतिम दौर की बैठक कर रहे हैं और इस सप्ताह के अंत में एक घोषणा होने की संभावना है. लेकिन इस घोषणा से पहले, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस एक-दूसरे पर “जीतने योग्य सीटों” के लिए दबाव डाल रहे हैं.
सूत्रों ने कहा कि राजद और कांग्रेस के बीच करीब 10 सीटों पर बातचीत जारी है. सूत्रों ने कहा कि 243 सदस्यीय विधानसभा में आरजेडी के लगभग 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है. वहीं कांग्रेस को लगभग 70 सीटें मिलेंगी और वाम दलों को लगभग 20 सीटें दी जाएंगी.
सूत्रों ने कहा कि राजद अपनी सीट का हिस्सा बढ़ाने में सक्षम हो सकती है क्योंकि विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के आधा दर्जन उम्मीदवारों को वह अपने चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है. तीन वामपंथी दल – सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई-एमएल भी अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेंगे.
एक सूत्र ने कहा कि बिहार में पहले चरण के मतदान के लिए नामांकन 1 अक्टूबर से शुरू होगा. 2 या 3 अक्टूबर को महागठबंधन में सीट-साझाकरण की घोषणा की जाएगी. सूत्रों ने कहा कि बातचीत की शुरुआत में यह तय किया गया था कि सीट-बंटवारा 2015 के फॉर्मूले पर आधारित होगा, जिसके अनुसार 41 सीटें कांग्रेस और 101 सीटें राजद को मिलनी थीं. शेष 101 सीटों में से, जो 2015 में जेडीयू द्वारा लड़ी गई थीं, 50 राजद, 30 कांग्रेस और 20 वामपंथी दलों द्वारा लड़ी जानी थीं.
इस बार कांग्रेस है सतर्क
सूत्रों ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के अनुभव के कारण कांग्रेस इस बार सतर्क है. ज्ञातव्य है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन में कांग्रेस पार्टी के लिए 12 सीटें तय की गई थीं, लेकिन बाद में उसे केवल नौ सीटें मिलीं थी. उस समय, राजद ने कांग्रेस के लिए राज्यसभा की एक सीट देने का वायदा भी किया था, लेकिन राजद की तरफ से वो पूरा नहीं किया गया था.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने राजद को स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर 2019 की लोकसभा चुनाव की तरह कोई भी प्रयास होता है, तो वह गठबंधन में नहीं रहेगा. कांग्रेस पार्टी सीटों की सम्मानजनक संख्या पर चुनाव लड़ना चाहती है. अंततः ये तो साझाकरण समझौता ही बताएगा कि कांग्रेस इस वार्ता में सफल रही है या नहीं.
महागठबंधन में टूट की संभावना नहीं
सूत्रों ने यह भी कहा कि महागठबंधन में टूट की संभावना नहीं है क्योंकि इससे राजद और कांग्रेस दोनों को नुकसान होगा. वो भी तब जब जीतन राम मांझी की अगुवाई वाला हम (HAM) एनडीए में शामिल हो गया है, वहीं उपेंद्र कुशवाहा का आरएलएसपी (RLSP) भी उसी के नक्शेकदम पर है. गौततालब है कि इन दोनों पार्टियों ने भी राजद कांग्रेस गठबंधन में “सम्मान” का मुद्दा उठाया था.
सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी चाहती थी कि मांझी और कुशवाहा के उम्मीदवार आरजेडी या कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ें, क्योंकि उन्हें लगा कि चुनावों के बाद इन दलों के बीच दलबदल की गुंजाइश है. एक सूत्र ने कहा कि अगर उनके उम्मीदवार राजद या कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर जीत जाते हैं, तो उनके लिए कोई खतरा नहीं होगा.
सूत्रों ने कहा कि मांझी और कुशवाहा दोनों ने इस शर्त को स्वीकार नहीं किया. इस तरह मांझी और कुशवाहा की अनुपस्थिति के कारण सीट साझाकरण समझौते की बातचीत काफी हद तक आसान हो गई है. वैसे महागठबंधन को मांझी और कुशवाहा दोनों के हटने से नुकसान होगा क्योंकि दोनों नेताओं का राज्य के कुछ क्षेत्रों में मतदाताओं का आधार है. मगर दूसरी तरफ कांग्रेस व राजद के रणनीतिकारों का दावा है कि इससे कोई नुकसान नहीं होगा.