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चंपारण: “मैजिक” चावल का मैजिक, जानिये क्या है इसकी खासियत (स्पेशल रिपोर्ट)

बगहा (इमरान अजीज – the bihar now की स्पेशल रिपोर्ट) | अच्छी ख़बर प्रदेश के बगहा से आई है. यहां ‘मैजिक’ नामक धान की खेती कर किसानों ने असम के बाद पश्चिम बंगाल की तर्ज़ पर इसकी शुरुआत चंपारण के रामनगर प्रखंड स्थित सोहसा हरपुर से किया है. वैसे तो मैजिक नामक धान की खेती देश में असम के ब्रह्मपुत्र नदी तट पर माजुला द्वीप में की जाती है, लेकिन रामनगर प्रखंड स्थित हरपुर सोहसा निवासी किसान विजय गिरी पिछले साल पश्चिम बंगाल के कृषि मेला में शरीक होने के दौरान इस प्रभेद को अपनाते हुए इस धान का बीज बिहार लेकर आए और इसकी खेती शुरू की.

शुरू में प्रयोग के तौर पर यहां के किसानों में विजय गिरी के साथ अवधेश सिंह ने मैजिक धान को एक एकड़ ज़मीन पर लगाया. इसके बाद मैजिक धान ने अपना मैजिक दिखाया. अच्छी पैदावार और बग़ैर रासायनिक खाद के साधारण रूप से तैयार होने वाले मैजिक धान ने यहां के किसानों को नई दिशा दी और यही वजह है कि इस बार चंपारण के रामनगर स्थित किसानों ने इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू किया है.

बिना चूल्हा पर चढ़ाए पक जाता है ये

बताया जा रहा है कि मैजिक धान की खासियत है कि इस धान के चावल को किसी रसोई गैस या चूल्हा पर पकाने की जरूरत नहीं है. इसे महज़ सादे सामान्य पानी में रखने के 45-60 मिनट के भीतर चावल से भात बनकर तैयार हो जा रहा है.

कृषि प्रधान और धान के कटोरा के तौर पर चंपारण का नाम देश भर में मशहूर है. ऐसे में स्वर्णा नामक धान की फसल बाढ़ के पानी में तैयार होने का एक प्रयोग अभी खेती किसानी में क्रांतिकारी कदम माना जा रहा था कि इसी बीच मैजिक धान ने यहां नया जादू दिखाया है जिससे किसान आह्लादित हैं.

किसानों ने बगैर ईंधन और रसोई गैस समेत आग और चूल्हे के बजाय नॉर्मल पानी में पककर तैयार होने वाले इस चावल की खेती को बढ़ावा दिया है. इसके बाद कृषि विभाग ने कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर और पुसा, समस्तीपुर स्थित प्रयोगशाला में इसकी पड़ताल को एकत्रित चावल भेजा है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही आने वाली है7

रामनगर के हरपुर सोहसा निवासी किसान विजय गिरी और अवधेश सिंह बताते हैं कि मैजिक धान की खेती कम लागत में बगैर रासायनिक खाद के जैविक तौर पर किया जा रहा है जो क़रीब 150-160 दिनों में तैयार होगा. इसका बाज़ार भाव 40-60 रुपए प्रति किलो तक है.

शुगर फ्री है ये मैजिक चावल

इस चावल की सबसे बड़ी खासियत है कि इस धान से तैयार चावल सुगर फ़्री है और इसमें कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन की मात्रा ज्यादा है जो आम लोगों के लिए लाभप्रद रहेगा. हालांकि कृषि विभाग द्वारा अभी तक बिहार में इसे कोई प्रोत्साहन नहीं मिला है.

लेकिन असम के बाद जिस तरह पश्चिम बंगाल स्थित कृषि मेला में वहां की सरकार ने इसका प्रयोग कर मैजिक धान की खेती को बढ़ावा दिया है और बिहार में पहली बार चंपारण के रामनगर प्रखंड स्थित हरपुर सोहसा में किसानों ने इसकी खेती शुरू किया है, उसे देखते हुए ख़ुद ज़िला के कृषि पदाधिकारी और कृषि वैज्ञानिकों ने इसको प्रयोगशाला भेजा है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि कृषि विभाग और सरकार द्वारा जल्द ही इसकी व्यापक पैमाने पर खेती को मंजूरी देकर बढ़ावा दिया जायेगा जिसका भरोसा कृषि विभाग के एसी बीएन पांडेय भी दिला रहे हैं.

सामान्य धान से बड़ा और चौड़ा

मैजिक धान आम तौर पर अन्य धान के प्रभेद से बड़ा और चौड़ा है जो अब खेतों में लहलहाने लगा है. बिहार की धरती पर चंपारण के रामनगर से अपना मैजिक दिखाना शुरू किया है जिसको लेकर यहां के अन्नदाता बेहद उत्साहित हैं. अब जरूरत है कि सरकारी स्तर पर इसकी खेती को बढ़ावा देने की ताकि सरहद समेत पहाड़ी दुर्गम इलाकों समेत आपदा की स्थिति में भी मैजिक चावल साधारण पानी में तैयार कर लिया जाए और रसोई गैस समेत चूल्हे संसाधनों के अभाव में कोई भूखा न रहे …

एक ओर आज बाढ़ से आधा बिहार बेहाल है, ऐसे में चंपारण के रामनगर में किसानों के इस अनूठी पहल और उन्नत किसानी को बढ़ावा देता मैजिक धान का कमाल निश्चित ही धान की खेती के लिए वरदान साबित होगा.