मधुबनी में स्थापित होगा फ़िल्म उद्योग, मूर्त रूप देने में लगे हैं ये….
मधुबनी/पटना | कुछ समय पूर्व राजधानी पटना में बॉलीवुड की कुछ नामचीन हस्तियों ने बिहार की महिमा का बखान करते हुए फ़िल्म इंडस्ट्री स्थापित किये जाने की बात, घोषणा करने के अंदाज में कही थी. इस घोषणा को पूरा करनेवाले तो फिर चुप ही हो गए , लेकिन सिने प्रेमियों , बिहार के युवाओं को फ़िल्म जगत में काम करने का जो एक अवसर मिलने वाला था, उसपर ब्रेक लग गया.

लेकिन समय का चक्र देखिए. इसे कोरोना इफेक्ट ही कहा जाएगा. अब फिल्म उद्योग की स्थापना पटना में होने के बजाए बिहार के एक जिले, मधुबनी में होगी. योजना बड़ी है और बिहार सरकार तथा दूरदर्शन पटना के सहयोग की अपेक्षा की जा रही है. बिहार के कलाकारों एवं फिल्मी दुनिया मे अपना कैरियर बनाने की तमन्ना रखने वाले युवक – युवतियों को मौका तो मिलेगा ही, साथ मे रोजगार का बड़ा अवसर भी उपलब्ध होगा.

बिहार में फ़िल्म उद्योग की स्थापना का सपना पूरा करने का बीड़ा उठाया है छोटे पर्दे के स्थापित कलाकार चंद्रमणि मिश्रा जी ने. चंद्रमणि मधुबनी जिले के खजौली प्रखंड अंतर्गत सुक्की गांव के निवासी हैं और पहले लॉक डाउन में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक महीना फंसे रहने के बाद 26 अप्रैल को अपने गांव पहुंच पाए थे. इस दौरान उन्हें मानसिक प्रताड़ना के दौर से भी गुजरना पड़ा. घर मे माता जी अस्वस्थ थीं और 23 अप्रैल को उनके छोटे दादा जी का देहांत हो गया. उनकी अंत्येष्टि में वह शामिल तक नही हो पाए थे जबकि उनसे अटैचमेंट काफी ज्यादा था.
छोटे दादा जी के देहांत के रूप में उनकी व्यक्तिगत हानि तो हो चुकी थी लेकिन 26 अप्रैल को गांव पहुचने के बाद उन्होंने श्राद्धकर्म का दायित्व विधि-विधान के साथ निभाया. विकलता को परिमार्जित करने के उद्देश्य से सामाजिक तौर पर सक्रिय हुए और इसी दौरान फ़िल्म उद्योग स्थापित करने का विचार उनके मन मे आया. फिर तो चंद्रमणि जी उसे मूर्त रूप देने में लग ही गए.
इस सिलसिले में बातचीत करते हुए TBN (The Bihar Now) को उन्होंने बताया कि मधुबनी में फ़िल्म और टीवी सीरियल निर्माण इस मायने में बेहतर है कि उत्तर बिहार की सीमा नेपाल के तराई इलाके से मिलती है. यहां प्रकृति अपने अनुपम सौंदर्य के साथ विराजमान है और शूटिंग के लिए सर्वथा उपयुक्त है. उन्होंने कहा कि बिहार ने हर क्षेत्र में अपनी मेधा का लोहा मनवाया है. यहां फ़िल्म और टीवी सीरियल का निर्माण होने पर इस क्षेत्र में भी बिहारी मेधा को अपना परचम लहराने का भरपूर मौका मिलेगा.
पूरी गम्भीरता से इस योजना को मूर्त रूप देने में लगे चंद्रमणि फ़िल्म जगत और उसके निर्माण की बारीकियों से बखूबी वाकिफ हैं और इसलिए अपनी टीम बनाने में लगे हुए हैं. कई लोगों ने उनसे संपर्क भी किया है जबकि वह स्वयं अपने साथी कलाकारों के सम्पर्क में हैं. उनके मित्रों ने इस प्रयास की पुरजोर सराहना की है. कोरोना की भयावहता को देखते हुए उनके कई साथी कलाकार मुम्बई छोड़ने की जुगत में हैं.
आपको याद होगा 20 साल पहले जब 15 नवम्बर 2000 को तत्कालीन दक्षिण बिहार को अलग करके झारखंड राज्य की स्थापना की गई थी. इस बंटवारे के बाद तब के बिहार के सारे उद्योग झारखंड में चले गए और बिहार के पास सिर्फ आलू और बालू ही बचा था. आलू मतलब खेती और बालू मतलब नदियां….तबसे अपने दम पर बिहार लगातार आगे बढ़ता रहा है. लेकिन जिला स्तर पर फ़िल्म उद्योग की स्थापना जहां भौगोलिक रूप से उपयुक्त है वहीं ग्लैमर और चकाचौंध से भरा यह प्रयास बदलाव का एक प्रभावकारी कदम भी साबित होगा.
वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की विशेष रिपोर्ट