कोरोना को भगाने के लिए अन्धविश्वास का नया खेल
बगहा (इमरान अजीज की रिपोर्ट) | भारत में आस्था और धर्म के नाम पर अन्धविश्वास का खेल तो वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन किसी बीमारी को ख़त्म करने के नाम पर अन्धविश्वास का खेल देखकर बड़ा ही अजीब सा प्रतीत होता है. लेकिन ये सच है, वैश्विक महामारी कोरोना (कोविड 19) को भगाने के लिए बगहा के वाल्मीकि टाईगर रिजर्व जंगल इलाक़े में महिलायें पूजा अर्चना कर रही हैं.
अन्धविश्वास और अंधभक्ति में डूबी महिलाओं द्वारा बगहा के अलग अलग गावों और जंगलों में कोरोना को भगाने के लिए पूजा अर्चना की जा रही है. लॉकडाउन के बाद से प्रवेश वर्जित होने के बावजूद भी महिलाएं चढ़ावा और पूजा अर्चना करने पहुंच रही हैं. अंधभक्त महिलाओं का मानना है कि गाय का रूप धारण कर बजडी में कोरोना माई आईं थीं जिसको लेकर अंधभक्त महिलाओं का बगहा के मदनपुर देवी स्थान, पटेसरा, सिरिसिया और जमुनापुर धिरौली समेत हरनाटांड़ थरूहट के गांवों में अंधविश्वास का खेल शुरू हुआ है.
इस अन्धविश्वास के बारे में बताया जा रहा है कि गौ माता का रूप धारण कर बजडी में महिलाओं के पास पहुंची कोरोना माईं ने 9 लवंग, 9 कपूर, 9 अगरबत्ती और 9 लड्डू चढ़ाकर कोरोना के प्रकोप से मुक्ति की बात कही जिसको लेकर बगहा शहर से ग्रामीण क्षेत्रों में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल शुरू हो गया.
लॉकडाउन के बाद से अनलॉक 1 की घोषणा के पश्चात महिलायें समूह बनाकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाते हुए, बिना मास्क पहने बेरोक-टोक बेधड़क होकर पूजा अर्चना में जुटी हुई हैं. कोरोना वायरस महामारी को भगाने के लिए चंपारण की महिलाओं ने पूजा अर्चना का सहारा लिया है . वैश्विक महामारी कोरोना से पूरी दुनिया हार चुकी है वहीँ कोरोना वायरस को भगाने के लिए बगहा एवं आसपास के इलाकों में एक नया अंधविश्वास आया है .
कोरोना को लेकर यहाँ की महिलाओं ने आस्था जताई है कि कोरोना नामक बीमारी दैविक प्रकोप है जिसे आराधना करके भगाया जा सकता है. इसके लिए गांव की महिलाएं समीप के देवी स्थान पर दर्जनों की संख्या में पहुंचकर देवी से कोरोना वायरस से मुक्ति दिलाने की गुहार लगा रही है.
सम्पूर्ण विश्व के वैज्ञानिक कोरोना के इलाज के लिए दवाई खोजने में लगे हुए हैं. वहीँ आज के आधुनिक युग में भी बगहा की ये महिलाएं आस्था के सहारे पूजा अर्चना कर इस बीमारी को भगाने में जुटी हैं. चिकित्सा सेवा से जुड़े लोग इसे अंधविश्वास करार दे रहे हैं. वही पूजा कर रही महिलाएं इसे दैविक कारण बताते हुए पूजा अर्चना कर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रही हैं.