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कचरे का कमाल

प्लास्टिक उत्पादों, प्लास्टिक से बनी चीजों का प्रयोग करना इंसान की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. क्या हमने कभी सोचा है कि प्लास्टिक को पूरी तरह से मिटने में 500 साल से भी ज्यादा समय लगता है.
बहुत सारे देशों में प्लास्टिक का कचरा ऐसे ही पड़ा रहता है. भारत में प्लास्टिक को बैन कर दिया गया है लेकिन- क्या प्लास्टिक का प्रयोग पूरी तरह से बंद हो चुका है?
इस सवाल का जवाब हम सभी को पता है क्योंकि हम सब ये जानते हैं कि अभी भी बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जो प्लास्टिक की थैलियों और प्लास्टिक पैकिंग में आती हैं.
प्लास्टिक के कचरे का निपटारा करने के लिए एक छोटे से एशियाई देश सिंगापुर ने एक अनोखा तरीका अपनाया है.
सबसे पहले वो लोग सारे शहर का कचरा इकठ्ठा करते हैं और फिर इस कचरे को बड़ी सी बिल्डिंग में ले जाते हैं. जहां पर इस कचरे को जलाने के लिए चौबीस घंटे सातों दिन साल के 365 दिन लगातार 1000 डिग्री सेल्सियस आग जलती रहती है. जिससे उष्मा और ऊर्जा उत्पन्न होती है ऊष्मा को नियंत्रित करके बिजली पैदा की जाती है और हजारों घरों को रोशन किया जाता है.
 प्लास्टिक के जलाने से निकलने वाला जहरीला धुंआ पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाए इसके लिए एक मुश्किल प्रक्रिया से धुएं को छानते हैं और चिमनी से धुआं एक साफ हवा के रूप में बाहर निकलता है जो आसपास के पर्यावरण की हवा से ज्यादा स्वच्छ होती है.
इस तरह से कुछ ही समय में लगभग 90 प्रतिशत कचरा समाप्त हो जाता है और बाकी का बचा हुआ 10 प्रतिशत कचरा राख बन जाता है. इस बची हुई राख को जहाज से बहुत दूर एक मानव निर्मित द्वीप पर ले जाकर समुद्र में डुबा देते हैं. ये सारी प्रक्रिया इतनी साफ है कि यहां के समुद्री जीव जंतु के अलावा आसपास के जानवर भी सवस्थ है और जंगल भी हरे भरे है.
कितने कमाल की बात है जो कचरा हर देश के लिए प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनकर समस्या उत्पन्न करता है सिंगापुर जैसे छोटे से देश ने इसका कितना अच्छा निस्तारण किया. भारत को भी इसी तरह कचरे की समस्या से निपटने के लिए उपाय करने चाहिए.