भूख और परिवार ने करा दी साईकिल से लम्बी दूरी तय
पश्चिम चंपारण (TBN रिपोर्ट) | देश के विभिन्न राज्यों से बिहार के श्रमिकों का अपने घर वापस लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. लॉकडाउन के कारण बाहरी राज्यों में फंसे लोग अपने घर लौटना चाह रहे हैं.
तमाम दिक्कतों का सामना करते हुए बड़ी संख्या में मजदूर अपने गृह राज्यों के लिए सड़क मार्ग से या रेल ट्रैक के जरिये पैदल ही घर लौट रहे हैं. इसी क्रम में असम, हरियाणा और यूपी में फंसे मजदूरों का जत्था साइकिल चलाकर पश्चिम चंपारण जिला के बगहा में पहुंचा .
मिली खबर के अनुसार लॉकडाउन में फंसने के बाद से राशन-पानी की समस्या और अपनों से मिलने की बेचैनी के चलते, इतना लंबा सफर तय करने के लिए साइकिल से ही घरों की ओर निकल पड़े सभी प्रवासी मजदूर लम्बी दूरी तय कर बिहार-यूपी सीमा के रास्ते बगहा पहुंचे हैं.
यहां पहुंचे सभी मजदूरों की मधुबनी और पिपरासी प्रखण्ड में कॉउंसलिंग के बाद जांच के लिए बगहा अनुमंडल अस्पताल भेज दिया गया.
मजदूरों के बारे में बताया जा रहा है कि ये सभी मजदूर जिला के आसपास के ही ग्रामीण इलाकों के निवासी हैं. लगातार लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के चलते और आगे भी लॉकडाउन के बढ़ने की आशंका के चलते ये लोग साइकिल से ही अपने घर की ओर निकल पड़े थे.
इस बारे में अपनी व्यथा सुनते हुए मजदूरों ने ये भी बताया कि लॉकडाउन कब तक बढ़ता रहेगा और बन्द पड़ी फैक्टरियां कब खुलेंगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है ऐसे में उन्हें वापसी ही बेहतर विकल्प लगा और यहीं वजह है कि सैकड़ों कोश दूर डगर साईकिल से ही नाप दिया
ज़िला प्रशासन की ओर से सभी मजदूरों का अनुमंडलीय अस्पताल बगहा में थर्मल स्क्रीनिंग करने के बाद क्वारंटाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. अब पुलिस प्रशासन की ओर से इन्हें डिग्निटी किट देकर प्रखंड स्तरीय संसाधनों से लैस क्वारंटाइन सेंटरों पर पहुंचाया जा रहा है.
जहां प्रवासी मजदूरों के सेहत का ख्याल रखते हुए व्यायाम और मनोरंजन के लिए प्रोजेक्टर चला कर फिल्म दिखाने की व्यवस्था की गई है ताकि लोगों को कोई बोरियत और घर परिवार की कमी न खले. ख़ुद जिलाधिकारी कुंदन कुमार इसकी मॉनिटरिंग कर समय समय पर ज़रूरी निर्देश जारी कर जरूरत की चीजें मुहैया करा रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को घर वापसी के लिए तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इसके साथ ही वापस लौटकर आने वाले मजदूरों द्वारा सुनायी गयी अपने साथ हुई परेशानियों की कहानी से राज्य सरकारों की पोल खुलती सी जा रही है.