युवक के पेट से निकला 15 किलो का ट्यूमर, बची जान

रांची / देवघर (TBN – The Bihar Now डेस्क) | कोरोना काल में न केवल कोरोना से संक्रमित लोगों का इलाज किया जा रहा है बल्कि कई हैरतअंगेज़ कर देने वाले इलाज के साथ साथ काफी मुश्किल भरे इलाज भी किये जा रहे है. कल रिम्स अस्पताल के सर्जरी विभाग में डॉ शीतल मलुआ की यूनिट में भर्ती मरीज की ऐसी ही जटिल सर्जरी की गई.
डॉ मलुआ यूनिट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जेनिथ ने बताया कि देवघर का रहने वाला एक 18 वर्षीय मरीज सुधीर यादव के पेट में बचपन से ही ट्यूमर था. 18 साल होते-होते ट्यूमर का आकार इतना बड़ा हो गया कि इलाज में थोड़ी भी देरी होती तो बच्चे की जान भी जा सकती थी. इस ट्यूमर को मेडिकल टर्म में टरोटोमा कहा जाता है. यह रेट्रोपनियल भाग में भी पहुंच चुका था. सर्जरी काफी जटिल थी, जिसे पूरी टीम ने अच्छे तरीके से की.
डॉ जेनिथ के अनुसार, ट्यूमर इतना विशाल था कि बाईं और दाईं किडनी के पेशाब की नली (यूरेटर) को भी दबा रहा था. इस कारण बच्चे का यूरिन भी कम हो रहा था और किडनी में भी काफी सूजन हो गया था. सभी तरह की जांच के बाद डॉ शीतल मलुआ के निर्देशन में पूरी टीम ने जटिल सर्जरी की. जटिल सर्जरी कर ट्यूमर तो निकाल दिया गया, लेकिन उस ट्यूमर में बाल, दांत व जबड़ा विकसित हो चुका था. इसे ही सर्जरी भाषा में टेरेटोमा कहा जाता है. मरीज अब बिल्कुल स्वस्थ है. यूरिन भी अच्छे तरीके से पास हो रहा है. फिलहाल मरीज को आइसीयू में ऑब्जर्वेशन में रखा गया है. दो-तीन दिनों के भीतर मरीज के स्वस्थ का परीक्षण कर छुट्टी दे दी जाएगी.
डॉक्टर की माने तो रिम्स में इतने बड़े आकार के ट्यूमर की पहली सर्जरी की गई है. कम खर्च में यह जटिल सर्जरी रिम्स में संभव है. अगर मरीज गरीब है तो उसके लिए रिम्स वरदान के समान है. डॉ जेनिथ ने बताया की ट्यूमर किडनी पर दबाव डाल रहा था. बाईं किडनी काम करना बंद कर चुकी थी. दाईं में भी दबाव डालना शुरू कर दिया था. खून का संचार भी धीमा हो गया था. हालांकि ऑपरेशन के बाद सभी परेशानी से निजात मिल गई है. अब मरीज की स्थिति पहले से बहुत बढिय़ा है.