जमानत जारी रहने का जश्न नहीं मना पा रहे तेजस्वी
पटना (TBN – अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| 18 अक्टूबर को राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ( (Special CBI Court, Rouse Avenue, Delhi) ) से मिली जमानत ने तेजस्वी यादव ((Deputy CM Tejashwi Yadav)) के नेतृत्व वाले राजद (RJD) को एक बड़े संकट से उबार दिया. अदालत ने जैसी फटकार लगाई, वैसी शायद ही कभी तेजस्वी ने सुनी हो. लेकिन बड़ा काम यह हुआ कि अदालत ने जमानत रद्द नहीं की. जाहिर है, इससे राजद कार्यकर्ताओं में उत्साह है.
बेशक, लड्डू बांटे गए, लेकिन राजद के रैंक एण्ड फाइल में यह निचले स्तर पर ही था. इतनी बड़ी राहत के बावजूद शीर्ष नेतृत्व (तेजस्वी यादव) सकते में है. यदि जमानत अर्जी खारिज हो जाती तब, इसकी कल्पना करना उनके वश की बात नहीं थी.
हालांकि चिन्तित होने की और भी वजहें हैं. वह भी तब, जब पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) और बेटी मीसा भारती (Misa Bharti) के साथ लालू यादव सिंगापुर में (Lalu Yadav in Singapore) हों !
जैसा कि सबों का अनुमान है, लालू परिवार धैर्य धरने के बजाय जल्द-से-जल्द तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी पर देखना चाहता है. गिरफ्तार होने का बड़ा संकट तो टल गया, पर उससे बड़ी चिंता मंसूबे पर पानी फिरने का है. यह चिंता सूबे के सियासी माहौल से निकल कर सामने आई है.
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जैसा कि सब जानते हैं, पिछले विधान सभा चुनावों में जदयू संख्या के लिहाज से सिमट कर तीसरे नम्बर की पार्टी बनकर रह गयी है. इसने नीतीश कुमार की छवि को बौना तो बनाया ही, असुरक्षा के भाव से भी कुमार ग्रस्त हो गए और उसी के तहत एनडीए से नाता तोड़ने का फैसला भी कर लिया. इसमें नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) से खुन्नस और प्रधानमंत्री बनने की ख़्वाहिश जैसी दोनों बातें भी भूमिका में थीं. पर, जल्द ही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का वहम दूर हो गया और यह भी साफ हुआ कि राजद सुप्रीम लालू यादव (RJD Supremo Lalu Yadav) की मंशा क्या है !
नीतीश पर कोई आपराधिक आरोप नहीं
एक तथ्य यह भी है जैसा कि आरोप लग रहा है, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा को सबक सिखाने के लिए राजद से हाथ मिलाया और नरेन्द्र मोदी से खुन्नस की वजह से प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना तलाशी, पर उनका यह वहम जल्द ही दूर भी हुआ. लेकिन तबतक वह राजद के दलदल में फंस चुके थे. इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर यह बात मानी जाती है कि नीतीश कुमार पर कोई आपराधिक आरोप नहीं है और यह भी कि राजद से हाथ मिलाना छवि के लिहाज से माकूल नहीं था. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की अपनी छवि को बचाए रखना और राजद के साथ सरकार चलाना नीतीश कुमार की राजनीति के लिए न सिर्फ विरोधाभासी है बल्कि नुकसानदेह भी है.
लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप
दूसरी तरफ लालू परिवार है. पूरे परिवार पर भ्रष्टाचार का आरोप है, चार्जशीट दायर हो गयी है और यह चारा घोटाले (Fodder scam) से जुड़ा नहीं है बल्कि 2004-2009 के दौरान का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे. रेल मंत्री रहते लालू ने जमीन के बदले नौकरी (Job against Land Scam) और आईआरसीटीसी घोटाले (IRCTC Scam) को अंजाम दिया जिसमें खुद लालू के अलावा पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियां मीसा भारती और हेमा यादव तथा दोनों लाल तेज-तेजस्वी आरोपी हैं और जमानत पर हैं. इतना ही नहीं, रेल स्क्रैप स्कैम (rail scrap scam) करने का भी आरोप लालू पर है जिसकी जांच की मांग तेज हो रही है.
लालू परिवार का यह बैक ग्राउण्ड नीतीश कुमार के लिए मुफीद नहीं है. और इसी से राजद नेतृत्व अब बेचैन भी है. राजद का शीर्ष (तेजस्वी यादव) नेतृत्व अपने हाथों से लड्डू को फिसलते देख रहा है. यह चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि 9 अगस्त जैसी कोई भी तारीख जल्द ही आ सकती है.
तेजस्वी की यह समझ इस बात से पैदा हुई है कि जो सपना नीतीश कुमार को लालू यादव ने दिखाया, दो दौरे में नीतीश कुमार की विपक्षी नेताओं से हुई मुलाकात से उस सपने की हकीकत सामने आ गई है. ऐसे में नीतीश कुमार का उठाया गया एक भी सुधारात्मक कदम राजद को मुख्यधारा की राजनीति से बाहर कर देगा.
यही वजह है कि जमानत रद्द न होने के बावजूद तेजस्वी यादव की बेचैनी कम नहीं हो रही है.