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गुजरातियों पर टिप्पणी: तेजस्वी के खिलाफ मानहानि मामले में SC ने सुरक्षित रखा आदेश

नई दिल्ली / पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Former Deputy Chief Minister of Bihar Tejashwi Yadav) की ‘केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं’ (Only Gujaratis can be thugs) वाली टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.

न्यायमूर्ति ए एस ओका (Justice A S Oka) और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां (Justice Ujjal Bhuiyan) की पीठ ने तेजस्वी यादव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Senior Advocate Kapil Sibal) की इस दलील पर ध्यान दिया कि तेजस्वी यादव ने बिना शर्त अपनी टिप्पणी वापस लेते हुए एक “विशिष्ट” हलफनामा दायर किया है.

शिकायतकर्ता हरेश मेहता (Complainant Haresh Mehta) की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा, “योर लॉर्ड्शिप विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों में पार्टियों के बीच सहमति के बिना कार्यवाही को रद्द कर सकते हैं (Your lordships may quash the proceedings in the peculiar facts and circumstances without there being any consent between parties).”

पीठ ने कहा, “आदेश सुरक्षित रखा जाता है, हम एक विस्तृत आदेश पारित करेंगे.”

इससे पहले इस मामले में तेजस्वी ने 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उन्होंने अपनी विवादास्पद “गुजराती ठग” टिप्पणी को वापस ले लिया था. यादव की याचिका से संबंधित कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले आपराधिक मानहानि शिकायत में प्रगति रोक दी थी और शिकायतकर्ता हरेश मेहता को नोटिस जारी किया था.

29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी यादव को अपनी कथित टिप्पणी को वापस लेते हुए एक “उचित बयान” प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने संकेत दिया था कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष यादव के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि के मुकदमे को रद्द कर देगी.

यह मामला, तेजस्वी यादव की पिछले साल मार्च में पटना में की गई कथित टिप्पणी से जुड़ी है. आरोप है कि यादव ने कहा कि ‘आज के समय में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं और उन्हें इसके लिए माफ भी किया जाएगा.’

अपनी शिकायत में, सामाजिक कार्यकर्ता और अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी व अपराध निवारक परिषद (All India Anti-Corruption and Crime Prevention Council) नामक संगठन के उपाध्यक्ष हरेश मेहता ने आरोप लगाया था कि तेजस्वी यादव द्वारा की गई ये टिप्पणियां गुजरातियों को सार्वजनिक रूप से बदनाम और अपमानित करती हैं.