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लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता खोजने में दुनिया की मदद करने का श्रेय भारत को: राष्ट्रपति मुर्मू

नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन (President Droupadi Murmu address to the nation on eve of Independence Day) में कहा कि आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने में सक्षम बनाया. उन्होंने कहा कि दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद करने के लिए भारत को श्रेय दिया जा सकता है.

राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, “स्वतंत्रता दिवस न केवल हम सभी के लिए बल्कि दुनिया भर में लोकतंत्र के हर पैरोकार के लिए भी उत्सव का कारण है. जब भारत ने स्वतंत्रता हासिल की, तो कई अंतरराष्ट्रीय नेता और विशेषज्ञ थे, जो भारत सरकार के लोकतांत्रिक रूप की सफलता के बारे में संशय में थे. उनके पास संदेह करने के अपने कारण थे. उन दिनों, लोकतंत्र आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों तक सीमित था. भारत, विदेशी शासकों के हाथों शोषण के इतने वर्षों के बाद, गरीबी और निरक्षरता से चिह्नित था. लेकिन हम भारतीयों ने संदेह साबित कर दिया गलत. लोकतंत्र ने न केवल इस मिट्टी में जड़ें जमाईं, बल्कि इसे समृद्ध भी किया.”

राष्ट्रपति ने याद किया कि भारत ने गणतंत्र की शुरुआत से ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया था. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत को दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद करने का श्रेय दिया जा सकता है.

उन्होंने कहा, “अधिकांश अन्य अच्छी तरह से स्थापित लोकतंत्रों में, महिलाओं को वोट देने का अधिकार पाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा. लेकिन भारत ने गणतंत्र की शुरुआत से ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया. इस प्रकार, आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र-निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिए सक्षम बनाया. इस प्रकार, भारत को दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद करने का श्रेय दिया जा सकता है.”

राष्ट्रपति ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा देश के प्रति किए गए योगदान की भी सराहना की.

उन्होंने कहा, “मैं मानती हूं कि भारत की यह उपलब्धि केवल संयोग नहीं थी. सभ्यता के आरंभ में ही भारत-भूमि के संतों और महात्माओं ने सभी प्राणियों की समानता व एकता पर आधारित जीवन-दृष्टि विकसित कर ली थी. महात्मा गांधी जैसे महानायकों के नेतृत्व में हुए स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे प्राचीन जीवन-मूल्यों को आधुनिक युग में फिर से स्थापित किया गया. इसी कारण से हमारे लोकतंत्र में भारतीयता के तत्व दिखाई देते हैं. गांधीजी सत्ता के विकेंद्रीकरण और जन-साधारण को अधिकार-सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे.”

राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव भारत के लोगों को समर्पित है. उन्होंने कहा, “पिछले 75 सप्ताह से हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के महान आदर्शों का स्मरण किया जा रहा है. ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया. उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया. उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई.”

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उन्होंने बताया, “यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है. देशवासियों द्वारा हासिल की गई सफलता के आधार पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का संकल्प भी इस उत्सव का हिस्सा है. हर आयु वर्ग के नागरिक पूरे देश में आयोजित इस महोत्सव के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “देश भर में आयोजित कार्यक्रमों की एक श्रृंखला में सभी आयु वर्ग के नागरिकों ने उत्सुकता से भाग लिया है. यह भव्य उत्सव ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के साथ आगे बढ़ रहा है. देश के हर नुक्कड़ पर भारतीय तिरंगा फहरा रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन की भावना को इतने बड़े पैमाने पर फिर से जीवित देखकर महान बहादुर दिल रोमांचित हो गए होंगे.”

COVID-19 के बाद सर्वत्र सराहना

राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में कहा, “दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नए भारत को उभरते हुए देखा है, खासकर COVID-19 के प्रकोप के बाद. इस महामारी का सामना हमने जिस तरह किया है उसकी सर्वत्र सराहना की गई है. हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया. पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है. इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं. इस प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं. इस आपदा में कोरोना योद्धाओं द्वारा किया गया योगदान विशेष रूप से प्रशंसनीय है.

उन्होंने बताया, “कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानव-जीवन और अर्थ-व्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है. जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है. इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है. भारत के start-up eco-system का विश्व में ऊंचा स्थान है.”

उन्होंने कहा, “हमारे देश में start-ups की सफलता, विशेषकर unicorns की बढ़ती हुई संख्या, हमारी औद्योगिक प्रगति का शानदार उदाहरण है. विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थ-व्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान physical और digital infrastructure के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है. प्रधानमंत्री गति-शक्ति योजना के द्वारा connectivity को बेहतर बनाया जा रहा है.

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उन्होंने कहा, “परिवहन के जल, थल, वायु आदि पर आधारित सभी माध्यमों को भली-भांति एक दूसरे के साथ जोड़कर पूरे देश में आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है. प्रगति के प्रति हमारे देश में दिखाई दे रहे उत्साह का श्रेय कड़ी मेहनत करने वाले हमारे किसान व मजदूर भाई-बहनों को भी जाता है. साथ ही व्यवसाय की सूझ-बूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले हमारे उद्यमियों को भी जाता है. सबसे अधिक खुशी की बात यह है कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं.”

उन्होंने कहा, “प्यारे देशवासियो, जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं. हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है. परंतु इस विविधता के साथ ही हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा है जो एक समान है. यही समानता हम सभी देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.”

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम होता जा रहा है. आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं. ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की सहायता से गरीब के पास स्वयं का घर होना अब एक सपना नहीं रह गया है बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है. इसी तरह ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत ‘हर घर जल’ योजना पर कार्य चल रहा है.

राष्ट्रपति भवन के एक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को राष्ट्र के नाम अपना पहला संबोधन दे रहे हैं. ओडिशा के रहने वाले 64 वर्षीय मुर्मू ने 25 जुलाई को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. वह शीर्ष संवैधानिक पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की और पहली आदिवासी हैं। वह आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं.