क्या ‘पैक’ हो जायेगी पीके की “आईपैक” ?

पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| देश की राजनीति (पांच राज्यों के चुनाव सहित) को “सेट” करने के प्रयोग की सफलता के लिए बड़े प्रयास हो रहे हैं. इन प्रयासों की एक कड़ी प्रशान्त किशोर (Prashant Kishor) से भी जुड़ती है. किशोर एक सफल पालिटिकल मार्केटर हैं और अपनी संस्था ‘आईपैक’ (Indian Political Action Committee) को गैर-राजनीतिक भी बताते हैं. अभी उनकी सारी व्यस्तता 14 फरवरी को होने वाले गोवा विधान सभा चुनावों पर केन्द्रित है.
लेकिन प्रशांत किशोर की राजनीतिक चतुराई गोवावासियों को रास नहीं आ रही है. संकेत उनके खिलाफ तो हैं ही, एक बड़ा और संगीन आरोप भी लग रहा है कि उन्होने मतदाताओं से जुड़े आंकड़े इकठ्ठा करने के लिए ममता बनर्जी से बड़े-बड़े प्रलोभन दिलवाए हैं. गोवा का राजनीतिक माहौल इसके खिलाफ हो गया है और यह अंदेशा बढ़ता जा रहा है कि किशोर को करारी शिकस्त मिलने वाली है.
पीके के पास फिलहाल ममता बनर्जी का एसाइनमेंट है जिनकी पार्टी टीएमसी गोवा में चुनाव लड़ रही है और चुनाव अभियान की पूरी जिम्मेदारी किशोर के पास है. लेकिन सवाल यह खड़ा हो गया है कि 40 सदस्यीय गोवा विधान सभा चुनावों में रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कैरियर खत्म हो जायेगा ?
ममता बनर्जी ने गोवा मे चुनाव लड़ने के उद्देश्य से धमाकेदार इंट्री की थी. जलवा ऐसा था जो गोवा की राजनीतिक फिजा को बदल देने के लिए था. लेकिन चुनाव की तारीख आते-आते अविश्वास और आशंका ने टीएमसी के हर प्रयास को उल्टा कर दिया है.
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टीएमसी (TMC) ने गोवा में सबसे पहले कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो (Fouizinho Faleiro) को अपनी पार्टी में शामिल कराकर राजनीति का श्रीगणेश किया था. पर हालात ऐसे हो गए कि दूसरे दलों से टीएमसी में आए नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो अब पार्टी छोड़ रहे हैं.
टीएमसी मे शामिल हुए पूर्व कांग्रेस विधायक एलेक्सो रेजिनाल्डो लरेंको (Former Congress MLA Alexo Reginaldo Larenko) अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी के लवू मामलेदार (Lavoo Mamledar) भी टीएमसी में शामिल हुए थे और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) तथा प्रशांत किशोर पर गोवा की संस्कृति से खिलवाड़ करने का गम्भीर आरोप लगाने वाले पहले व्यक्ति थे, जिनकी बात अब सच साबित हो रही है. मामलेदार ने टीएमसी छोड़ दी और अब कांग्रेस के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं. हद तो तब हो गई जब गोवा टीएमसी के संस्थापक सदस्य रहे यतीश नाइट को टिकट नहीं मिला और उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी.
सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र से ही नहीं बल्कि साहित्य और खेल जगत से टीएमसी मे शामिल होने वालों का भी जल्द ही मोहभंग हो गया. साहित्य जगत से जुड़े दामोदर घनेकर (Damodar Ghanekar), सासर खिलाड़ी डेन्जिल फ्रेंको (Scissor Player Denzil Franco) और टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस (Tennis player Leander Paes) जैसी शख्सियत, जिन्होंने टीएमसी का राजनीतिक कद बढ़ाया था, अब छोड़ चुके हैं. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि टीएमसी आंकड़े इकठ्ठा करना चाहता थी ताकि चुनावों मे उनका इस्तेमाल कर सके और इसीलिए मतदाताओं को प्रलोभन दिए गए थे.
लेकिन ऐसा लगता है कि अपनी हनक मे ममता बनर्जी और ओवर कंफिडेंस मे चूर प्रशांत किशोर गोवा को समझने से चूक गए और इसलिए चुनाव के पूर्व ही परिणाम उनके सामने आ गया. इसलिए उंगली प्रशांत किशोर पर उठी है. और, इसीलिए यह सवाल भी खड़ा हुआ है कि क्या गोवा चुनाव उनके कैरियर को खत्म करने वाला साबित होगा ?
(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)