क्या आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन भी उड़ जाएगी ?
पटना (The Bihar Now डेस्क)| दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi assembly elections 2025) में शानदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जब बीजेपी मुख्यालय पहुंचे, तो पूरे जोश और उत्साह के साथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उनके जोशीले भाषण ने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी. उन्होंने दिल्ली की जनता को इस ऐतिहासिक जीत के लिए बधाई दी और जैसे ही अपने भाषण में बिहार (Bihar) का जिक्र किया, यह संकेत मिल गया कि एनडीए (NDA) की अगली बड़ी चुनौती 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly elections 2025) होगा.
पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में बदलाव तब आया, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने सत्ता संभाली और एनडीए सरकार बनी. इससे पहले बिहार की स्थिति क्या थी, यह किसी से छिपा नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि एनडीए सुशासन और विकास की गारंटी है, जिससे यह साफ हो गया कि बीजेपी बिहार चुनाव को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतने वाली है.
दिल्ली चुनाव से बिहार की राजनीति में हलचल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं था, बल्कि बीजेपी के लिए यह प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका था. इस जीत से न केवल पार्टी के हौसले बुलंद हुए हैं, बल्कि एनडीए के सहयोगी दलों का आत्मविश्वास भी बढ़ गया है.
पीएम मोदी और अन्य बीजेपी नेताओं के भाषणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि दिल्ली की जीत को बिहार के मतदाताओं के बीच प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा. पूर्वांचलियों के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया जाना भी इस बात का संकेत है कि बीजेपी बिहार चुनाव में क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बना रही है.
डबल इंजन सरकार का लाभ बिहार में प्रचार का प्रमुख मुद्दा
एनडीए के नेताओं का कहना है कि जब दिल्ली की जनता ने डबल इंजन सरकार के लाभों को समझ लिया और अरविंद केजरीवाल जैसे बड़े नेता को पराजित कर दिया, तो अब बिहार के मतदाताओं को भी यही संदेश दिया जाएगा. डबल इंजन सरकार यानी केंद्र और राज्य में एक ही गठबंधन की सरकार, जिससे विकास कार्यों में तेजी आती है.
दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद, पीएम मोदी ने नीतीश कुमार की प्रशंसा करके जेडीयू कार्यकर्ताओं और नेताओं में भी उत्साह भर दिया. एनडीए के नेता अब पूरी ताकत से संयुक्त सम्मेलन की तैयारी में जुट गए हैं, जिससे यह साफ हो जाता है कि बिहार चुनाव की बिसात बिछ चुकी है.
“दिल्ली तो झांकी है, बिहार अभी बाकी है”—क्या संकेत दे रहा है यह बयान?
बीजेपी और एनडीए नेताओं के बयानों में यह साफ झलकता है कि दिल्ली की जीत को बिहार में जीत की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है. जीतन राम मांझी ने कहा था, “दिल्ली तो झांकी है, बिहार अभी बाकी है,” जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि एनडीए की पूरी रणनीति अब बिहार पर केंद्रित हो रही है.
इसे भी पढ़ें – क्या बिहार में तेजस्वी यादव कर पाएंगे प्रवेश वर्मा जैसा कारनामा ?
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि दिल्ली की जनता ने दिखा दिया कि वे झूठे प्रचार को नकारते हैं और विकास की राजनीति को स्वीकार करते हैं. उनका मानना है कि बिहार की जनता भी इस बात को अच्छे से समझती है कि मोदी-नीतीश की जोड़ी ने राज्य के विकास के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं और आने वाले चुनावों में उन्हें फिर से जनसमर्थन मिलेगा.
बीजेपी की रणनीति: विकास और केंद्र की योजनाओं पर फोकस
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से कई बड़े प्रोजेक्ट्स की सौगात दी है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार बिहार के विकास के लिए आगे भी किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ेगी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए बिहार को विकास के उस स्तर तक ले जाएगा, जिसका सपना हर बिहारवासी देखता है.
बीजेपी की रणनीति साफ है—विकास कार्यों और केंद्र सरकार की योजनाओं को प्रमुख मुद्दा बनाकर बिहार की जनता को यह समझाना कि एनडीए सरकार उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है.
तेजस्वी यादव का पलटवार: “बिहार को समझना आसान नहीं”
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दिल्ली चुनाव नतीजों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोकतंत्र में जनता का फैसला सबसे महत्वपूर्ण होता है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए. हालांकि, उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि 27 साल बाद सत्ता में आई बीजेपी को अपने वादे पूरे करने होंगे, केवल जुमलेबाजी से काम नहीं चलेगा.
जब बीजेपी नेताओं ने यह कहा कि “दिल्ली झांकी है, बिहार अभी बाकी है,” तो तेजस्वी यादव ने पलटवार करते हुए कहा, “यह बिहार है, इसे समझाना पड़ेगा, और बिहार को समझना इतना आसान नहीं है. जब वे बिहार आएंगे, तब उन्हें असली सच्चाई समझ में आएगी.”
एनडीए के अंदर संभावित विवाद और जातीय समीकरण
फिलहाल की परिस्थितियों को देखकर यह कहा जा सकता है कि एनडीए को इस समय बढ़त हासिल है. लेकिन अंदरूनी मतभेद और सीटों के बंटवारे को लेकर संभावित विवाद से इनकी राह मुश्किल हो सकती है. अगर एनडीए नेतृत्व इसे सही तरीके से संभाल लेता है, तो बिहार चुनाव में उनकी जीत की संभावनाएं प्रबल हो जाएंगी.
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार चुनाव में जातीय समीकरणों की भूमिका अहम होगी. एनडीए को अपनी एकता बनाए रखनी होगी और जातीय संतुलन को सही तरीके से साधना होगा, ताकि विपक्ष को कोई मौका न मिले.
कांग्रेस की भूमिका और आरजेडी की मुश्किलें
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हराने में कांग्रेस की भूमिका अहम रही. अगर बिहार में भी कांग्रेस इसी तरह का रुख अपनाती है, तो आरजेडी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं और इसका सीधा लाभ एनडीए को मिलेगा.
बिहार की राजनीति में कांग्रेस की भूमिका निर्णायक हो सकती है. अगर वह विपक्षी एकता से अलग होकर कोई नया रुख अपनाती है, तो इससे एनडीए को फायदा होगा.
बिहार चुनाव की बिसात बिछ चुकी है
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे बिहार की राजनीति पर सीधा असर डाल रहे हैं. बीजेपी और एनडीए इस जीत को बिहार में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए पूरी तरह से भुना रहे हैं. पीएम मोदी के भाषणों और नेताओं के बयानों से यह साफ है कि बिहार में डबल इंजन सरकार के फायदे को प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा.
हालांकि, बिहार चुनाव को लेकर अभी भी कई समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे. सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद हो सकता है, लेकिन अगर एनडीए इसे सही तरीके से हल कर लेता है, तो बिहार में उसकी जीत की संभावना मजबूत हो जाएगी.
अब देखना यह होगा कि विपक्षी दल, खासकर आरजेडी और कांग्रेस, इस चुनौती का कैसे सामना करते हैं. लेकिन फिलहाल, दिल्ली की जीत के बाद बीजेपी का उत्साह चरम पर है और इसका असर बिहार चुनाव पर निश्चित रूप से देखने को मिलेगा.