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क्या हैं राहुल गांधी के लिए 2019 और 2024 लोकसभा चुनावों के मायने?

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| चौराहे पर खडी़ और सत्ता प्राप्त करने की चाहत लिए कांग्रेस पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों (2024 Lok Sabha elections) की तैयारी में जुट गयी है. उसके लिए देश नहीं राहुल गांधी (Rahul Gandhi) महत्वपूर्ण हैं. यही वजह है कि कांग्रेस की तैयारी सिर्फ देश भर में ही नहीं है. इसके लिए राहुल गांधी विदेशों का भी दौरा कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी का ऐजेंडा और नैरेटिव (Congress Party’s Agenda and Narrative) सेट करने के लिए विदेशी ताकतों का सहारा भी ले रहे हैं. दुनिया में जैसा कहीं नहीं होता वैसा कांग्रेस भारत में करना चाहती है.

ताजा मामला है वह मुद्दा, जिसे पार्टी ने खोज निकाला है. नरेन्द्र मोदी के खिलाफ देश भर के विपक्ष को एकजुट करने और अपने नेतृत्व में चुनाव लड़ने की कठिनाइयों के बीच पार्टी ने एक ऐसा मुद्दा खोजा है जो 2019 के राफेल विवाद की याद ताजा कर देता है.

2014 में सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस को एंटी इनकमबैंसी (anti incumbency) का खामियाजा भुगतना पडा़ था. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव आते-आते “कांग्रेस मुक्त भारत” (Congress free India) की तोड़ ढूंढ पाने में असमर्थ कांग्रेस औंधे मुंह गिरी थी.

मोदी के खिलाफ आक्रामक

स्मरणीय है कि 2019 में राफेल जेट विमानों की मंहगे दामों पर खरीद का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर “चौकीदार चोर है” (Watchman is a Thief) का अपनी जनसभाओं में नारा (slogan in public meetings) तक लगवाया था. वैसा ही मामला 2024 लोकसभा चुनावों के थोडा़ पहले कांग्रेस पार्टी के हाथ लगा है और एक बार फिर वह नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आक्रामक हो गई है. यह ताजा मामला प्रीडेटर ड्रोन का (case of Predator drone) है. अमेरिका से लिए जाने वाले इस ड्रोन के बाबत कांग्रेस का आरोप है कि इस डील में मोदी ने 25000 करोड़ रूपये का घोटाला किया है.

आने वाले समय में काग्रेस इस बात का खुलासा कर सके तो करे कि इतना बडा़ घोटाला कैसे हुआ. पर हो सकता है तबतक लोकसभा चुनाव सम्पन्न भी हो चुके हों. क्योंकि यह समझना कठिन है कि जो डील अभीतक हुई ही नहीं, उसके बारे में काग्रेस पार्टी 25000 हजार करोड़ रूपये के घोटाले का आरोप कैसे लगा रही है ?

प्रीडेटर ड्रोन डील

2017 से अमेरिका प्रीडेटर ड्रोन (Predator drone deal) लेने के लिए भारत से बात कर रहा है. बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रम्प के बाद जो बाइडेन तीसरे राष्ट्रपति हैं जो चाहते हैं कि भारत यह ड्रोन खरीदे. राफेल का सौदा, बनाने वाली कम्पनी देशौ और भारत सरकार के बीच हुआ था जबकि प्रीडेटर ड्रोन का सौदा अमेरिका और भारत सरकार के बीच होगा. भारत की तीनो सेनाओं ने अपनी जरूरत की लिखित जानकारी अमेरिकी सरकार को भेज दी है और अभी भी यह प्रारम्भिक प्रक्रिया के ही स्तर पर है. अभी सारी प्रक्रियायें पूरी होना बाकी हैं जिसके बाद दोनो सरकारों के बीच ड्रोन की कीमत पर अंतिम फैसला होगा और तब यह डील पूरी होगी.

अभी डील हुई ही नहीं और कांग्रेस ने घोटाले का आरोप लगा दिया है. इसलिए यह समझना कठिन है कि रक्षा सौदों के बारे में इस तरह के बेबुनियाद आरोप के सहारे अपनी समझ जाहिर कर कांग्रेस क्यों बौनेपन का शिकार होना चाहती है. लेकिन यदि वह अपने इस आरोप पर कायम रहती है तो इसका हश्र भी राफेल जैसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता.

मोदी सरकार के विरुद्ध कोई मुद्दा नहीं

प्रीडेटर ड्रोन खरीद मामले को घोटाला बताकर कांग्रेस ने एक बार फिर यही साबित किया है कि उसके पास मोदी सरकार के विरुद्ध कोई मुद्दा नहीं है. इधर G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन जिस भव्यता और सफलता के साथ भारत सरकार ने किया, उसका सुफल आने वाले समय में देश को मिलेगा, पर देश में हुए इस वैश्विक कार्यक्रम में कांग्रेस शासित राज्य का कोई भी मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुआ. कांग्रेस ने G20 के बायकाट की घोषणा नहीं की थी, पर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को शिखर सम्मेलन में नहीं बुलाए जाने के कारण उसके मुख्यमंत्रियों ने प्रोटोकाल का पालन नहीं किया. यह सरकारी कार्यक्रम था जिसमें विधायिका के सदस्य आमंत्रित नहीं थे. सोनिया, राहुल, खरगे सांसद हैं. सभी मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था जिसमें कांग्रेस मुख्यमंत्रियों को छोड़ इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री शामिल हुए थे.

कांग्रेस द्वारा फिर स्वंय को देश के उपर दिखाने का प्रयास

प्रोटोकोल को सम्मान न देकर कांग्रेस ने एक बार फिर स्वंय को देश के उपर दिखाने का प्रयास किया और घुटनों के बल आ गई. दूसरी तरफ सम्मेलन शुरु होने के पहले राहुल गांधी विदेशी दौरे पर निकल गए. कांग्रेस की ऐसी गतिविधियों से यह स्पष्ट होता है कि गांधी परिवार सत्ता से बाहर रहने की सूरत में सिवाय अपनी अहमियत के और कुछ समझना चाहता ही नहीं. उसकी यह समझ देश की भावना से मेल नहीं खाती. ऐसे में देश से इतना कटकर रहना और चुनाव जीतना किसी खुशनुमा ख्याल से ज्यादा नहीं हो सकता है. एक तरफ कांग्रेस पार्टी देश विरोधी होने का गम्भीर आरोप झेल रही है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी चीन के ऐजेंडे को आगे बढा़ रहे हैं. विदेशों मे भारत विरोधी प्रचार उनकी चुनावी रणनीति का प्रमुख हिस्सा है. इस रणनीति के तहत वह भारत सरकार के सामने जो चुनौती पेश करना चाहते हैं उसमें विधि-व्यवस्था के भंग होने की आशंका शामिल हो सकती है.