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एनडीए में अकेले पड़ गए वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी

पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की कलम से)| बिहार विधान परिषद की 24 सीटों और बोचहां विधानसभा सीट पर होने वाले चुनावों में तवज्जो नहीं मिलने से अपनी नाराजगी की मार्केटिंग करने वाले एनडीए सरकार में मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी (National President of the Vikassheel Insaan Party Mukesh Sahni) अब अकेले पड़ गए हैं.

हाल ही में सहनी ने एक बयान देकर सनसनी फैला दी थी. अपने बयान में सहनी ने कहा था कि एनडीए मे तानाशाही नहीं चलेगी. वीआईपी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम HAM) की बदौलत ही एनडीए की सरकार है. सहनी ने विधान परिषद चुनावों में एक भी सीट नहीं दिए जाने और बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochahan assembly by-election) में भाजपा द्वारा प्रत्याशी दिए जाने की घोषणा के विरोध यह बयान दिया था.

अब जबकि एनडीए ने विधान परिषद चुनावों के लिए सीटों के तालमेल की आधिकारिक घोषणा कर दी है, उसमे हम और वीआईपी को एक भी सीट नहीं मिली. घोषणा के बाद आई ‘हम’ की प्रतिक्रिया जहां एनडीए को मजबूती देने वाली रही, वहीं सहनी ने न सिर्फ इस घोषणा का विरोध किया बल्कि अपनी महत्वाकांक्षा बताते हुए परिषद की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है.

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इधर एक भी सीट नहीं मिलने पर अपनी सधी प्रतिक्रिया में हम के पार्टी प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि, “दो सीटों की वजह से बिहार का सर्वनाश नहीं होने देंगे.” बता दें, ‘हम’ ने गया और सीतामढ़ी की सीटें मांगी थी.

स्थानीय निकाय कोटे से विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव मुख्य रूप से एनडीए और महागठबंधन के बीच का चुनाव माने जा रहे हैं. लेकिन पहले एआईएमआईएम और अब वीआईपी के भी परिषद चुनावों में दो-दो हाथ करने का फैसला इन दोनों दलों के सियासी वजूद को आईना भी दिखायेगा.

यहां यह उल्लेख करना समीचीन है कि यूपी चुनावों में भाजपा के खिलाफ 165 सीटों पर चुनाव लड़ रही वीआईपी के सुप्रीमो मुकेश सहनी ने बिहार के विधान परिषद चुनावों में भाजपा से ही चार सीटों की मांग की थी.

(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)