बिहार में चुनावी गठबंधन में हार के बाद इस्तीफा देने वाले केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (Rashtriya Lok Janshakti Party) के नेता पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने बिहार में एनडीए चुनाव गठबंधन (nda election alliance) में उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं मिलने के बाद मंगलवार (19 मार्च) को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया.
दिवंगत राम विलास पासवान (Late Ram Vilas Paswan) के भाई पशुपति कुमार पारस ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा, “कल एनडीए गठबंधन ने बिहार लोकसभा के लिए 40 उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की… हमारी पार्टी के पांच सांसद थे और मैंने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया… अन्याय हुआ है” हमारे और हमारी पार्टी के साथ किया गया. इसलिए, मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं. ”
बिहार में एनडीए का सीट बंटवारा
एनडीए (NDA) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बिहार में सीट बंटवारे की घोषणा की, जिसमें भाजपा और जदयू कुल 40 में से क्रमशः 17 और 16 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. आवंटन में चिराग पासवान (Chirag Paswan) की एलजेपी (LJP-R) को पांच सीटें मिलीं, जबकि उनके चाचा पारस की पार्टी आरएलजेपी (RLJP) खाली हाथ रह गया.
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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) के दो सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (Rashtriya Lok Morcha) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) भी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेंगे. यह पहली बार है कि भाजपा (BJP) बिहार में जदयू से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
पशुपति कुमार पारस बनाम चिराग पासवान: हाजीपुर किसकी विरासत?
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री रहे पारस का लक्ष्य एससी आरक्षित हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना था, लेकिन उनके भतीजे, राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी ऐसा ही चाहते थे.
वैशाली जिले का सबसे बड़ा शहर हाजीपुर, पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान दोनों के लिए महत्वपूर्ण सीट है. यह राम विलास पासवान का गढ़ हुआ करता था क्योंकि उन्होंने 1977 से 2019 तक 8 बार सीट जीती. 2019 में, पशुपति कुमार पारस ने इस निर्वाचन क्षेत्र से 5,41,310 वोटों से जीत हासिल की. इस बार बीजेपी ने चिराग पासवान को टिकट दिया तो पारस ने भी हाजीपुर से चुनाव लड़ने का इरादा दोहराया.
पारस की अगली चाल
राजद नेताओं के साथ चर्चा की अफवाहों के बीच पारस ने अपनी भविष्य की योजनाओं को गुप्त रखा. उन्होंने कहा, “मैं पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद अपने अगले राजनीतिक कदम की रूपरेखा तैयार करूंगा.”
इधर, 19 अप्रैल से 1 जून तक होने वाले चुनावों के साथ भाजपा, जद (यू) और एलजेपी बिहार में एक-दूसरे के साथ मिलकर मुकाबला करने के लिए पूरी तैयारी में हैं. 4 जून को आने वाले नतीजे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देंगे.