डिप्टी सीएम सुशील मोदी के ट्वीट पर नियोजित शिक्षकों ने जताई तीखी आपत्ति
झूठे दावे करके जनता को झांसा न दें उपमुख्यमंत्री
पंद्रह सालों में शिक्षा और रोजगार का बंटाधार कर दिया है सरकार ने
हर विभाग में “ठेके पर बहाली और उसमें भी दलाली” का कल्चर हावी
युवाओं से सम्मानजनक रोजगार छीना – बच्चों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा छीनी – और बात गुडगवर्नेंस की कर रहे
झूठे प्रचारों का शिक्षक देंगे करारा जवाब
पटना (TBN – the bihar now desk) | उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी द्वारा ट्वीट करके शिक्षा एवं शिक्षकों पर उपकार करने की दुहाई के खिलाफ नियोजित शिक्षकों में आक्रोश दिख रहा है. गौरतलब है कि मंगलवार को केबिनेट ने सूबे के नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के लिए बहुप्रतीक्षित सेवाशर्त को पारित किया है. सेवाशर्त में ऐच्छिक स्थानान्तरण ग्रेच्युटी बीमा अवकाश पैंशन समेत शिक्षकों के तमाम मांगों को सिरे से दरकिनार कर दिया गया है.
सूबे के टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक नये सेवाशर्त को लेकर आंदोलन की राह पर हैं. सोशल मीडिया से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक शिक्षक धरना विरोध आदि कर रहे हैं. उसपर शनिवार को उपमुख्यमंत्री के टवीट ने आग में घी डालने का काम किया है. प्रेस बयान जारी कर टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक, प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय और प्रदेश मीडिया प्रभारी राहुल विकास ने उपमुख्यमंत्री के कार्यकाल में शिक्षा एवं शिक्षकों की दुर्दशा पर तीखी आपत्ति व्यक्त की है.
शिक्षक नेताओं का कहना है कि सुशील मोदी के उपमुख्यमंत्री रहते ही प्राइमरी से लेकर प्लस टू तक के शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के पद को मृत घोषित किया गया. हाल फिलहाल उनकी केबिनेट ने ही स्कूलों के कलर्क्स एवं फोर्थ ग्रेड के पद को भी डाइंग घोषित किया. नियोजननीति का पृष्ठपोषण और तमाम विभागों में ठेकाकरण – बंधुआकरण को बढ़ावा देकर युवाओं से सम्मानजनक रोजगार छीनने का काम उनकी सरकार ने ही किया है. आज भी नियुक्ति के बजाय नियोजन का खेल जारी है. शिक्षा अधिकार कानून के आलोक में बच्चों के अनुपात में शिक्षकों के आधे से अधिक रिक्त पदों पर अबतक बहाली नही हो सकी है.
उनका कहना है कि बिहार में नामांकित स्कूली बच्चों की संख्या ढाई करोड़ है, शिक्षा अधिकार कानून के अनुसार लगभग आठ लाख शिक्षक चाहिए जबकि कार्यरत शिक्षकों की संख्या मात्र साढ़े तीन लाख है. पिछले पांच साल में शिक्षकों की बहाली शुन्य है नियोजन का काम भी कानूनी पंचडों में फंसा हुआ है. RTE और NCTE के दिशानिदेशों का बंटाधार करते हुए शिक्षकों को बड़े पैमाने पर गैरशैक्षणिक कार्यों में उलझाया जा रहा है.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के बजाय स्कूलों में लोकलुभावन हवाहवाई योजनाओं का चल रहा खेल
शिक्षक नेताओं ने कहा कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में बेलगाम भ्रष्टाचार सबके सामने है. बीपीएससी, टीइटी, एसटीइटी, एसएससी एक्जाम तक बगैर कोर्ट गये एक भी परीक्षा का सही से रिजल्ट नही दे सकनेवाली सरकार के उपमुख्यमंत्री के मूंह से गुडगवर्नेंस की बातें नही शोभती. शिक्षा विभाग में बेलगाम भ्रष्टाचार जारी है. राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद और शिक्षा अधिकार कानून को बाईपास करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वाहक टीइटी एसटीइटी शिक्षकों के भविष्य का गला रेता जा रहा है. केंद्र से पर शिक्षक 60% के हिसाब से 25 हजार वेतन मद में मिलने वाले पैसे को भी पूरा पूरा नहीं देकर अपने हिस्से के 40% सहित केंद्र के अंश से भी कुछ पैसे का वर्षों से हेरफेर जारी है.
उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्रीजी को झूठे दावे करके जनता को झांसा देने के बजाय पश्चाताप करनी चाहिए. जिन उम्मीदों के साथ बिहार के नौजवानों ने उन्हें समर्थन दिया उनके साथ भीषण हकमारी की है.
“बदला लो- बदल डालो” के आह्वान के साथ 05 सितंबर को सूबे के टीइटी एसटीइटी शिक्षक मनायेंगे शिक्षक संकल्प दिवस मनाकर तानाशाह एनडीए सरकार को उखाड़ फेकने का संकल्प लेंगे. उन्होने कहा कि सेवाशर्त के नाम पर शिक्षकों को बंधुआ बनाये रखने की साजिश नही चलेगी. टीइटी एसटीइटी शिक्षकों को सहायक शिक्षक – राज्यकर्मी का दर्जा, तदनुरूप सेवाशर्त से कमतर शिक्षको को कुछ भी मंजूर नहीं.