गैर-भाजपा शासित राज्यों में आतंकी गतिविधियों को मिलता है खाद-पानी !
पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कांग्रेस (Congress) भले सियासत के हाशिए पर आ गई हो, कई कदम आगे बढ़कर अधिकांश क्षेत्रीय दल (regional parties) उसके इस आजमाये नुख्से पर अमल कर रहे हैं. मुस्लिम कट्टरपंथ (Muslim fundamentalism) को तुष्टिकरण से भरपूर खाद-पानी मिलता है जिसमें घुसपैठिए रोहिंग्याओं (Rohingyas) और बांगलादेशियों (Bangladeshis) की बसावट तक शामिल है. इसका बड़ा दुष्परिणाम यह है आतंकी नेटवर्क बड़ा होता जा रहा है. गैर-भाजपा शासित राज्यों (Non-BJP ruled states) की इस स्थिति से बिहार भी अछूता नहीं है.
उल्लेखनीय है कि भारत को इस्लामिक स्टेट (Islamic State) बनाए जाने की प्रतिबंधित संगठन पीएफआई (banned organization PFI) की साजिश का पर्दाफाश बिहार में ही हुआ था. पटना से सटे फुलवारीशरीफ (Phulwarisharif) में अपनी साजिश को अंजाम दे रहे पीएफआई की कारस्तानी से बिहार सरकार (Bihar government) बिल्कुल गाफिल थी. केन्द्रीय एजेंसी की इनपुट पर बिहार पुलिस ने इस साजिश में लिप्त उसके एक्टिविस्टों को पकडा़ था. उसके बाद बडे़ पैमाने पर देश भर में उसके ठिकानो पर छापे पड़े और फिर पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया गया.
लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद पीएफआई के सदस्य बिहार में सक्रिय हैं और उत्तर बिहार के उन शहरों में अपना नेटवर्क फैला रहे हैं जहां मुस्लिम आबादी की तादात ज्यादा है.
एनआईए की पटना स्थित विशेष न्यायालय (NIA special court in Patna) में पकड़े गए पीएफआई एक्टिविस्ट अनवर राशिद (PFI activist Anwar Rashid) के खिलाफ दायर चार्जशीट में ऐसी ही कई बातों का जिक्र है.
आतंकी नेटवर्क फैलाने में स्लीपर सेल (sleeper cell) के तौर पर काम कर रहे पीएफआई एक्टिविस्टों की तहकीकात में एनआईए लगी हुई है. पटना के अलावा उत्तर बिहार (North Bihar) के कुछ प्रमुख शहरों में जांच एजेंसी के तहकीकात के परिणाम भी जल्द मिलने के संकेत हैं. आतंकी नेटवर्क फैलाने में स्लीपर सेल अहम किरदार में होते हैं और अब तो फण्ड पहुंचाने का भी काम करने लगे हैं. एनआईए की जांच में यह बात सामने आई है.
दरअसल, बिहार पहले सिमी और बाद में पीएफआई के लिए सेफ जोन रहा है क्योंकि तुष्टीकरण की राजनीति के चलते उनके लिए मुफीद माहौल बना रहता है. बिहार में राजद, जदयू और कांग्रेस के बीच तुष्टीकरण को लेकर होड़ लगी रहती है. राजद का तो वोटबैंक ही यादव-मुस्लिम गठजोड़ है. नीतीश कुमार टोपी पहनने में जरा भी देर नहीं करते और कांग्रेस पार्टी तो तुष्टीकरण की पुरानी खिलाडी़ रही है. पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठनों को इसलिए भी बिहार में देश विरोधी साजिशों पर काम करने का खुला माहौल मिलता है.