‘कुर्सी नहीं’ लोगों को प्राथमिकता दें; तेजस्वी का नीतीश को सुझाव

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सोमवार को नीतीश कुमार ने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. राष्ट्रीय जनता दल ने इस शपथ ग्रहण समारोह से बाहर बैठने का विकल्प चुना. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को सोशल मीडिया पर बधाई दी और उन्हें “कुर्सी की महत्वाकांक्षा” के बदले बिहार के लोगों की इच्छाओं को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया.
सोमवार को महागठबंधन नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, “मुख्यमंत्री के रूप में नामित होने पर आदरणीय नीतीश कुमार को शुभकामनाएं. मुझे उम्मीद है कि वे ‘कुर्सी की महत्वाकांक्षा’ की बजाय राज्य के लोगों की इच्छाओं को प्राथमिकता देने के साथ एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के 19 लाख नौकरियों के सकारात्मक वादों, शिक्षा, चिकित्सा, सिंचाई के साथ लोगों की शिकायतों को दूर करने पर ध्यान देंगे.”
यह आरोप लगाते हुए कि केंद्र की भाजपा सरकार अपने सहयोगियों के खिलाफ आपराधिक मामलों की अनदेखी करती है, तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पिता और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी यदि भाजपा के साथ हाथ मिलाया होता, तो उन्हें चारा घोटाले में क्लीन चिट दे दी गई होती. उन्होंने कहा, “अगर लालू ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया होता तो वे आज भारत के राजा हरिश्चंद्र होते. तथा चारा घोटाले में दो मिनट में भाईचारा घोटाला हो गया होता और लालू का डीएनए बदल गया होता”.
शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार
राजद ने एनडीए के खिलाफ जनादेश का दावा करते हुए नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया. आरजेडी ने ट्वीट किया, “राजद शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करता है. बदलाव का जनादेश राजग (एनडीए) के खिलाफ है. राज्य के निर्देश पर जनादेश में बदलाव किया गया है. बिहार के बेरोजगार, किसान, संविदा कर्मचारी और शिक्षकों से पूछें कि उनके साथ क्या हो रहा है. जनता राजग के धोखाधड़ी से आंदोलित हैं. हम जनता के प्रतिनिधि हैं और उनके साथ खड़े हैं”.
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हाल में ही संपन्न बिहार विस चुनावों में बेईमानी का अंदेशा लगाते हुए तेजस्वी यादव ने उन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में पोस्टल बैलट वोटों की गिनती की मांग की, जहाँ की गिनती अंत में की गई थी.
बताते चले कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए ने 125 सीटों का बहुमत हासिल करने के बाद लगातार चौथे कार्यकाल के लिए नीतीश कुमार ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. भाजपा ने 74, जेडी (यू) 43 सीटें जीतीं, जबकि आठ सीटें दो अन्य एनडीए सहयोगियों ने जीतीं. दूसरी ओर, राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि कांग्रेस ने 70 सीटों में से केवल 19 सीटों पर जीत दर्ज की.