तेजस्वी सीएम बनना चाहते हैं, नीतीश उन्हें बनाना भी चाहते हैं तो रोक कौन रहा है : प्रशांत किशोर
पटना (TBN – अनुभव सिन्हा)| वर्ष 2025 में महागठबंधन का नेतृत्व तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) द्वारा किए जाने की बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने कह क्या दी, प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने उनके समाजवादी या सेक्यूलरिस्ट होने का केंचुल ही उतार दिया. इतनी हिमायत तो लालू यादव (Lalu Yadav) ने भी नहीं की थी.
बीते मंगलवार को विधानसभा में नए कारीडोर का उद्घाटन करने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से अपना इरादा जाहिर किया था. इरादा जाहिर करते समय उनका भाव यह था कि 2025 के विधानसभा चुनावों के बाद महागठबंधन की ही सरकार (Grand Alliance Government) बनेगी और सीएम तेजस्वी यादव होंगे. उनके इसी ख्याल पर प्रशांत किशोर ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि बिहार में नीतीश कुमार का राजतंत्र है क्या ?
जिस इत्मिनान से नीतीश कुमार ने तेजस्वी के नेतृत्व की भविष्यवाणी की, वह दिलचस्प है. इसके पीछे राजद (RJD) और जदयू (JDU) के अपने-अपने राजनीतिक समीकरण के पुख्ता रहने का विश्वास है. जबकि, महागठबंधन सरकार बनने के बाद हुए तीन विधानसभा उपचुनावों में से दो में महागठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा और एक जीती सीट का श्रेय लेने की हिम्मत महागठबंधन सरकार की नहीं हुई.
इस पृष्ठभूमि को देखते हुए प्रशांत किशोर का सवाल यह था कि मौजूदा मुख्यमंत्री 2025 का इंतजार करने के बजाय अभी तेजस्वी यादव को सरकार की कमान क्यों नहीं सौंप देते, ताकि 2025 के चुनावों के पहले तक बिहारवासी सरकार चलाने के तेजस्वी यादव के “टैलेंट” को देख-समझ सकें ?
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प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार ने सिर्फ अपनी कुर्सी को बचाए रखने के लिए यह बात कही है. उनका इरादा तबतक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने से ज्यादा कुछ नहीं है.
विकास के नाम पर वोटबैंक की राजनीति के सहारे अगले चुनाव की भविष्यवाणी कर देना अपने आप में अद्भुत है. यह उस क्रूर राजनीतिक समीकरण को बचाए रखने का हिमायती है जिसकी बदौलत विकास का सामाजिक असंतुलन बढ़ता गया है और राजनीतिक दलों में व्यक्ति और परिवार फलते-फूलते रहे हैं. लोकतंत्र को जीवंत बनाए रखने में जिन चुनिंदा शख्सियतों ने अपना हाड़-मांस गलाया, उनके चेले-चपाटियों की राजनीति आज उस मुकाम पर खड़ी है जहां दिनकर याद आते हैं.