लैन्ड फॉर जॉब मामले में ED के नए समन को तेजस्वी ने बताया एक रूटीन
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| नौकरी के बदले जमीन घोटाले (Land for Job Scam) के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव (RJD supremo Apavita Yadav) और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy Chief Minister Tejashwi Yadav) को तलब करने के एक दिन बाद तेजस्वी यादव ने केंद्र पर निशाना साधा. गुरुवार को तेजस्वी ने कहा कि यह अब “रूटीन” हो गया है.
यादव ने संवाददाताओं से कहा, “मैं हमेशा से जाता रहा हूं; यह एक रूटीन है. मैं पहले भी जाता था. 2017 से 2023 तक, जब भी ईडी (ED), इनकम टैक्स या सीबीआई ने मुझे बुलाया, मैं नियमित रूप से जाता रहा हूं. ये एजेंसियां क्या करेंगी? उन पर भी दबाव है.”
वहीं, विपक्षी नेताओं ने केंद्र पर असहमति को दबाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. विपक्षी दलों ने दावा किया कि ईडी और सीबीआई द्वारा जांच किए गए 95 प्रतिशत नेता राजनीतिक विपक्ष के नेता हैं.
तेजस्वी ने कहा, “यह अब एक दिनचर्या बन गई है…मैंने पहले भी कहा है…मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव संपन्न होने के बाद ये एजेंसियां बिहार, झारखंड और दिल्ली में काम करेंगी.”
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इससे पहले बुधवार को ईडी ने कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में लालू यादव और तेजस्वी यादव को तलब किया. जहां लालू को पहली बार ईडी ने तलब किया है, वहीं तेजस्वी इससे पहले इस साल अप्रैल में ईडी के सामने पेश हुए थे.
हाल ही में, सीबीआई ने पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ लैंड फॉर जॉब्स कथित घोटाला मामले में आरोप पत्र दायर किया है.
सीबीआई ने 18 मई, 2022 को तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
यह आरोप लगाया गया है कि 2004-2009 की अवधि के दौरान तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने रेलवे के विभिन्न जोनों में समूह “डी” पदों पर स्थानापन्न की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि संपत्ति के हस्तांतरण आदि के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किए.
आगे यह भी आरोप लगाया गया कि इसके बदले में, स्थानापन्न, जो स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से पटना के निवासी थे, ने पटना में स्थित अपनी जमीन को उक्त मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में बेच दिया और उपहार में दे दिया, जो उक्त परिवार के सदस्यों के नाम पर ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल था.
यह भी आरोप लगाया गया कि जोनल रेलवे में स्थानापन्नों की ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, फिर भी जो नियुक्त व्यक्ति पटना के निवासी थे, उन्हें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था.