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भ्रष्टाचार खत्म करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई राह

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई हो और उस व्यक्ति के कारण उसका संगठन ही फंस जाए, यह स्थिति आम आदमी पार्टी के समक्ष पैदा हो गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने सुनवाई करते हुए एक राह दिखाई है जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त राजनीतिक दलों पर अंकुश लग सकता है. हालांकि अभी यह मामला जिस अवस्था में है, उसमें जांच एजेंसी की पड़ताल अहम है जो राजनीतिक भ्रष्टाचार के आयामों को स्पष्ट कर सकती है और फिर उसे रोकने हेतु संसद कानून बना सकती है.

मनीष सिसोदिया (AAP Leader Manish Sisodia) की जमानत अर्जी पर चली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ही यह सवाल किया कि शराब घोटाले (liquor scam) में जब लाभार्थी स्वंय आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) है तब उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया ? इस पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि ऐसा करने पर वह विचार कर रहा है.

जब देश की सर्वोच्च अदालत में किसी राजनीतिक दल पर मुकदमा चलाने का सवाल खड़ा होता हो, तब यह सवाल भी खड़ा होगा कि आखिर ऐसे भ्रष्टाचार की जड़ कितनी गहरी है. अरविंद केजरीवाल को कितना मजबूत आधार मिला जिसकी बदौलत एक पूरी की पूरी राजनीतिक पार्टी को भ्रष्टाचार में लिप्त कर देने के बावजूद बचकर निकल जाने का भरोसा भी रहा हो लेकिन अंततः वह फंसता हुआ नजर आने लगे. इससे यह संकेत तो मिलता ही है कि भ्रष्टाचार की जो मुकम्मल व्यवस्था बनाई गई वह अब जाकर उस मुकाम पर पहुंची है जब उसका नीर-क्षीर विवेचन किया जा सके.

आजाद भारत का होगा पहला मामला

प्रवर्तन निदेशालय (ED ) इस सिलसिले में संविधान विशेषज्ञों, विधि विशेषज्ञों और चुनाव आयोग से बातचीत कर रहा है. एक राजनीतिक दल को आरोपी बनाने के पूर्व उसके सभी पक्षों और आयामों की विस्तृत जानकारी लेकर उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी ईडी सुप्रीम कोर्ट को देगा. ऐसा होने पर सुप्रीम कोर्ट उस ऐतिहासिक मामले पर सुनवाई कर सकेगा जो आजाद भारत का पहला मामला होगा.

I.N.D.I. एलायंस के सभी प्रमुख घटक भ्रष्टाचार में लिप्त

एक अदद शराब घोटाले में अपनाई गई पद्धति ने इतनी बड़ी सम्भावना का दरवाजा खोल दिया जो हैरतअंगेज है. भ्रष्टाचार की विरासत को आगे बढा़ने में अपनी मेधा का प्रदर्शन करने वाले अरविंद केजरीवाल के समक्ष तो कांग्रेस नतमस्तक हो चुकी है. चुनावी माहौल में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट हुए इंडी एलायंस (I.N.D.I. Alliance) का एक घटक आम आदमी पार्टी भी है, लेकिन 28 दलों वाले इंडी एलायंस से शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के खिलाफ एक आवाज भी नहीं उठी. इसकी वजह महज इतनी है कि इंडी एलायंस के सभी प्रमुख घटक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और कानूनी दायरे में हैं. ऐसे में जब किसी राजनीतिक दल को भ्रष्टाचार का आरोपी बनाए जाने के मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो तब यही कहा जा सकता है कि बेहद काली और अंधेरी रात अब खत्म होने वाली है.