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आंकड़े बताते हैं विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग सिर्फ राजनीति: प्रशांत किशोर

पटना (TBN – अनुभव सिन्हा)| बिहार में व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) पर निकले प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के लिए तल्खी बढ़ती जा रही है. वह नीतीश कुमार की राजनीति की बात नहीं करते. नीतीश कुमार के विकास के दावे पर आंकड़ों का आईना दिखाते हैं जो इस बात की पुष्टि करता है कि आंकड़े और राजनीति दोनों ही लिहाज से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कोरी राजनीति है.

पूर्वी चम्पारण (East Champaran) के रामगढ़वा (Ramgadhawa) में मीडिया से मुखातिब प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के विकास के दावे की धज्जियां उड़ा दीं. बिहार को पिछड़ा और गरीब बताकर सूबे के लिए स्पेशल स्टेटस की उनकी मांग को प्रशांत किशोर ने सिरे से खारिज कर कर दिया.

पदयात्री किशोर ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मनरेगा जैसी केन्द्रीय योजना को जो मुख्यमंत्री ठीक से चला नहीं सकता, उस सरकार की अकर्मण्यता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है. उल्लेखनीय है कि मनरेगा योजना के तहत केन्द्र सरकार बिहार को 10000 करोड़ रुपये देती है, लेकिन नीतीश सरकार सिर्फ 3800 करोड़ रुपये ही ले पाती है बाकी छोड़ देती है. अगर वह पूरे पैसे इस योजना पर खर्च करती ग्रामीण क्षेत्रों की बेरोजगारी कम होती और पलायन भी रुकता.

विकास में बैंकों की बड़ी भूमिका का जिक्र करते हुए प्रशांत किशोर ने साख-जमा अनुपात में बैंकों के फिसड्डी रहने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया. बिहार में यह अनुपात 40% है, जबकि हर साल यहां बैंकों में 4 लाख करोड़ रुपये जमा होते हैं. इस लिहाज से बैंक सिर्फ 1.60 लाख करोड़ रुपये ही ऋण के तौर पर देते हैं जबकि ऋण का यह वाल्यूम 2.80 लाख करोड़/वर्ष होना चाहिए था. विकसित राज्यों में यह अनुपात 90% से लेकर 95% तक है. किशोर ने कहा कि आंकड़े यह बताते हैं कि सरकार कितनी गैर जिम्मेदारी से काम करती है और इसके उलट विकास के बड़े-बड़े दावे करती है. जबकि बैंकों से मिलने वाले ऋण बिहार के युवाओं के स्वावलम्बन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई सकते हैं.

पिछले 2 अक्टूबर से प्रशांत लगातार पदयात्रा पर हैं. उनके साथ कोई सुरक्षा नहीं है. नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए उन्होने कहा कि बिना किसी सुरक्षा के वह बिहार के किसी भी गांव में चल नहीं सकते. इतना गुस्सा है लोगों के अन्दर.

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बिहार को स्पेशल स्टेटस की नीतीश कुमार की मांग से जुड़े सवाल पर कटाक्ष करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि 2017-2022 तक जब बह भाजपा के साथ सत्ता में थे तब यह मांग क्यों नहीं की ? जब राजद के साथ हैं तब उन्हें स्पेशल स्टेटस जरुरी इसलिए लग रहा है क्योंकि राजद को यह मांग सूट करता है. इसलिए यह सिर्फ कोरी राजनीति है, इसका विकास और बिहार की बेहतरी से कोई रिश्ता नहीं है.

दरअसल पश्चिमी चम्पारण की पदयात्रा कर चुके और पूर्वी चम्पारण की पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर के पास अबतक जिन समस्याओं का संकलन हो चुका है, वह नीतीश सरकार की संवेदनहींनता का प्रमाण हैं. शिक्षा की बदहाली, बाढ़, किसानों की दयनीय स्थिति, एमएसपी के दर पर फसलों की खरीदारी न होना, पलायन, बेरोजगारी के आंकड़े तो सिर्फ दो जिलों के हैं, जबकि पूरे सूबे के ऐसे संकलन के आधार पर वह बिहार के हर पंचायत से लेकर जिले का ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे.